अमेरिकी विदेश विभाग 
प्रवक्ता का कार्यालय 
भाषण 
सितंबर 13, 2023 
वाशिंगटन डीसी 

एक नए दौर में अमेरिकी कूटनीति की ताक़त और उद्देश्य 

विदेश मंत्री ब्लिंकन: आप सभी का धन्यवाद। सुप्रभात। 

श्रोतागण: सुप्रभात। 

विदेश मंत्री ब्लिंकन: डीन स्टाइनबर्ग, जिम, इस वास्तव में शानदार नए भवन के उद्घाटन में एसएआईएस समुदाय के साथ शामिल होने का सम्मान देने के लिए धन्यवाद। 

जिम ने अपने उल्लेखनीय करियर के दौरान काफी काम किए हैं, लेकिन इनका सबसे दीर्घकालिक योगदान है विचारकों की एक पूरी पीढ़ी, परिणाम देने वालों की पीढ़ी जिसे इन्होंने शिक्षित किया है, जिसका इन्होंने मार्गदर्शन किया है, जिसे इन्होंने प्रेरित किया है। मेरे सहित। 

डॉ. ब्रेज़िंस्की भी यह मानते थे कि अंतरराष्ट्रीय मामलों में उनके सबसे स्थायी योगदानों में से एक है अमेरिका के उभरते विद्वानों और पेशेवरों को तैयार करनाजिनमें राष्ट्रपति कार्टर भी शामिल रहे हैं, जिन्होंने खुद को ज़ीबिग काएक उत्साही छात्रबताया था; और इयन, मार्क, मीकाइन सबने हमें उस चीज़ के क़रीब लाने का प्रयास किया है जिसे ज़ीबिग ने अमेरिकी ताक़त का अमेरिकी सिद्धांतों के साथ व्यावहारिक संलयन कहा है।  

अस्सी साल पहले, जब पॉल नीत्ज़े ने तत्कालीन सांसद क्रिस हर्टर के साथ मिलकर इस संस्था को बनाने का विचार किया, तो उन्होंने इसकी स्थापना के लिए जगह ढूंढना शुरू कर दिया। 

वे फ़्लोरिडा एवेन्यू पर एक खस्ताहाल हवेली में टिक गए – (हंसी) – जो कभी एक बालिका विद्यालय हुआ करती थी। एक पुराने बास्केटबॉल कोर्ट ने एसएआईएस की पहली लाइब्रेरी के रूप में काम किया। जैसा कि जिम ने उल्लेख किया, मुझे एसएआईएस के लिए मूल भवन में काम करने का अनुभव मिला हैसाथ ही उस कार्यालय में अस्थायी रूप से काम करने का बड़ा और विशिष्ट सम्मान भी, जिसमें कभी पॉल नीत्ज़े ने काम किया था।  

लेकिन जैसा कि नीत्ज़े और हर्टर दोनों जानते थे, इमारतेंसबसे सामान्य से लेकर सबसे भव्य तकबस इमारतें ही होती हैं। उनमें विचार और उद्देश्य भरने का काम तो व्यक्तियों का होता है।  

उस समय, दुनिया द्वितीय विश्वयुद्ध से जूझ रही थी। पुरानी व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी थी और नीत्ज़े और हेर्टर का मानना था कि इस संस्थान को नई व्यवस्था के निर्माण में अभिन्न भूमिका निभानी चाहिए। एसएआईएस स्नातक तब से उस वादे को पूरा कर रहे हैं। 

अब हम खुद को इतिहास के एक और अहम मोड़ पर खड़ा पाते हैंऔर रणनीति संबंधी मूल प्रश्न से जूझ रहे हैं, जैसा कि नीत्ज़े ने परिभाषित किया है: “रास्ते में किसी आपदा का शिकार हुए बिना, हम वर्तमान जगह से इच्छित गंतव्य तक कैसे पहुंचें?” 

आज, मैं इस गहन और महत्वपूर्ण प्रश्न पर बाइडेन प्रशासन के उत्तर को निर्धारित करना चाहूंगा 

तो आइए हम वर्तमान स्थिति से शुरू करते हैं। 

आप सभी जिस अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य का अध्ययन कर रहे हैं, वह उस परिदृश्य से बहुत अलग है जिसका सामना मैंने 30 साल पहले श्री स्टाइनबर्ग के साथ सरकार में काम शुरू करते हुए किया था। 

शीतयुद्ध की समाप्ति अपने साथ अधिक शांति और स्थिरता, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, आर्थिक अंतरनिर्भरता, राजनीतिक उदारीकरण, और मानवाधिकारों की दिशा में अनवरत प्रगति का वादा लेकर आई थी। 

और वास्तव में, शीतयुद्ध के बाद के दौर में उल्लेखनीय प्रगति हुई। एक बिलियन से अधिक लोग गरीबी की जकड़ से बाहर निकले। देशों के बीच संघर्षों में ऐतिहासिक गिरावट आई। घातक बीमारियां कम हो गईंयहां तक कि कइयों का उन्मूलन तक किया गया। 

पर, इस अवधि के असाधारण फ़ायदों से सब समान रूप से लाभान्वित नहीं हुए। और इस व्यवस्था के सामने गंभीर चुनौतियां भी थीं, उदाहरण के लिएतत्कालीन यूगोस्लाविया में युद्ध; रवांडा में नरसंहार; 9/11 और इराक़ युद्ध; 2008 का वैश्विक वित्तीय संकट; सीरिया; कोविड महामारी। 

लेकिन आज हम जो अनुभव कर रहे हैं वह शीतयुद्ध के बाद की व्यवस्था को चुनौती मिलने से कहीं बड़ी बात है। यह उसका अंत है। 

यह रातोंरात नहीं हुआ। और जो बात हमें इस क्षण तक ले आई, वह आने वाले दशकों तक अध्ययन और बहस का विषय रहेगी। लेकिन इस बात की स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है कि शीतयुद्ध के बाद के दौर के लिए हमारे दृष्टिकोण को आकार देने वाली कई मूल धारणाएं अब मान्य नहीं रह गई हैं। 

दशकों की अपेक्षाकृत भूराजनीतिक स्थिरता की जगह तानाशाही ताक़तों और संशोधनवादी शक्तियों के साथ तीव्र प्रतिस्पर्धा ने ले ली है। यूक्रेन में रूस का आक्रामक युद्ध संयुक्तराष्ट्र चार्टर में निहित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था तथा संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रों की स्वतंत्रता एवं व्यक्तियों के सार्वभौम अविभाज्य मानवाधिकारों के मूल सिद्धांतों के लिए सर्वाधिक तात्कालिक और गंभीर खतरा है। 

इस बीच, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना सबसे गंभीर दीर्घकालिक चुनौती पेश कर रहा है क्योंकि वो केवल अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को पुनर्निर्धारित करने की आकांक्षा रखता है, बल्कि ऐसा करने के लिए उसके पास अधिकाधिक आर्थिक, कूटनीतिक, सैन्य, तकनीकी ताक़त भी एकत्रित हो रही है। 

और बीजिंग और मॉस्को अपनीअसीमित साझेदारीके ज़रिए दुनिया को निरंकुश शासन के लिए सुरक्षित बनाने की दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं।       

जैसेजैसे यह प्रतिस्पर्धा तेज़ हो रही है, कई देश किसी एक पक्ष का समर्थन करने से बच रहे हैं। गैरशासकीय किरदारों का प्रभाव बढ़ रहा हैराष्ट्रीय सरकारों के संसाधनों की बराबरी करने वाली कंपनियों से लेकर; करोड़ों लोगों को सेवाएं प्रदान करने वाले गैरसरकारी संगठनों; विनाशकारी क्षति पहुंचाने की क्षमता रखने वाले आतंकवादियों; और, अवैध दवाओं, हथियारों एवं व्यक्तियों की तस्करी करने वाले अंतरराष्ट्रीय आपराधिक संगठनों तक। 

अंतरराष्ट्रीय सहयोग शुरू करना अधिक जटिल हो गया है। केवल बढ़ते भूराजनीतिक तनाव के कारण, बल्कि जलवायु संकट, खाद्य असुरक्षा, व्यापक प्रवासन और विस्थापन जैसी वैश्विक समस्याओं की विशालता के कारण भी। 

देश और नागरिक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था में विश्वास खो रहे हैं, प्रणालीगत खामियों के कारण उनका विश्वास डगमगा गया है: 

उन मुट्ठी भर सरकारों के कारण, जिन्होंने प्रमुख क्षेत्रों में अनुचित लाभ हासिल करने के लिए नियमविरुद्ध सब्सिडी, बौद्धिक संपदा की चोरी और बाज़ार को विकृत करने वाले अन्य तरीकों का इस्तेमाल किया। 

प्रौद्योगिकी और वैश्वीकरण, जिन्होंने संपूर्ण उद्योगों को खोखला और विस्थापित कर दिया, और ऐसी नीतियां जो हाशिए पर छूट गए श्रमिकों और समुदायों की मदद करने में विफल रहीं। 

और असमानता, जो आसमान छू रही है। 1980 और 2020 के बीच, सबसे अमीर 0.1 प्रतिशत आबादी ने सर्वाधिक गरीब 50 प्रतिशत आबादी के बराबर संपत्ति अर्जित की। 

ये असमानताएं जितनी अधिक समय तक बनी रहेंगी, उन लोगों का अविश्वास और मोहभंग उतना ही अधिक बढ़ेगा, जिन्हें लगता है कि व्यवस्था उन्हें पर्याप्त अवसर नहीं दे रही है। और वे राजनीतिक ध्रुवीकरण के अन्य कारकोंजिन्हें उन एल्गोरिद्म से आगे बढ़ाया जाता है जो सर्वोत्तम विचारों को शीर्ष पर पहुंचने देकर हमारे पूर्वाग्रहों को मज़बूत करते हैं का उतना ही अधिक समर्थन करेंगे 

अधिकाधिक लोकतंत्र खतरे में हैं। उन्हें आंतरिक चुनौती उन निर्वाचित नेताओं से मिल रही है जो आक्रोश का फ़ायदा उठाते हैं और डर पैदा करते हैं; स्वतंत्र न्यायपालिकाओं और मीडिया को सीमित करते हैं; अपने मित्रों को समृद्ध करते हैं; और सिविल सोसायटी एवं राजनीतिक विरोध पर नकेल कसते हैं। और, उन्हें बाहर से चुनौती निरंकुश शासकों से मिल रही है जो दुष्प्रचार फैलाते हैं, भ्रष्टाचार को हथियार बनाते हैं, और चुनावों में हस्तक्षेप करते हैं। 

इनमें से हरेक परिस्थिति ने शीतयुद्ध के बाद की व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती पेश की होगी। साथ मिलकर, उन्होंने उसे पलट दिया। 

इसलिए हम स्वयं को उस जगह पाते हैं जिसे राष्ट्रपति बाइडेन अहम पड़ाव कहते हैं। एक युग समाप्त हो रहा है, एक नया युग शुरू हो रहा है, और वर्तमान में हम जो निर्णय लेंगे उनसे आने वाले दशकों के भविष्य को आकार मिलेगा। 

अमेरिका इस अहम काल में मज़बूत स्थिति में रहते हुए आगे बढ़ रहा है। ताक़त हमारी विनम्रता और हमारे आत्मविश्वास दोनों में निहित है। 

विनम्रता इसलिए क्योंकि हम उन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं जिनका समाधान कोई एक देश अकेले नहीं कर सकता। क्योंकि हम जानते हैं कि हमें उन देशों और नागरिकों का विश्वास अर्जित करना होगा जिनके लिए पुरानी व्यवस्था अपने कई वादों को पूरा करने में विफल रही। क्योंकि हम मानते हैं कि नेतृत्व की शुरुआत दूसरों को सुनने और साझा समस्याओं को दूसरों के नज़रिए से समझने से होती है, ताकि हम समान आधार पा सकें। और हम घरेलू स्तर पर गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, विदेश में नेतृत्व करने के लिए जिनसे हमें पार पाना होगा। 

लेकिन आत्मविश्वास भीआत्मविश्वासक्योंकि हमने बारबार साबित किया है कि जब अमेरिका एकजुट होता है, तो हम कुछ भी कर सकते हैं। क्योंकि धरती के किसी भी अन्य राष्ट्र के पास सामान्य उद्देश्यों के लिए दूसरों को संगठित करने की इतनी अधिक क्षमता नहीं है। क्योंकि एक अधिक परिपूर्ण संघ बनाने का हमारा निरंतर प्रयास हमें अपनी ख़ामियों को ठीक करने और अपने लोकतंत्र को भीतर से नवीकृत करने में सक्षम बनाता है। और क्योंकि भविष्य की हमारी संकल्पनाएक ऐसी दुनिया जो मुक्त, स्वतंत्र, समृद्ध और सुरक्षित होअकेले अमेरिका की नहीं है, बल्कि यह हर महाद्वीप पर हर देश के लोगों की स्थायी आकांक्षा है। 

एक ऐसी दुनिया जहां लोग अपने दैनिक जीवन में मुक्त हैं, और अपने भविष्य, अपने समुदाय, एवं अपने देश को आकार दे सकते हैं। 

एक ऐसी दुनिया जहां हर देश अपना रास्ता और अपना साझेदार चुन सकते हैं 

एक ऐसी दुनिया जहां वस्तुओं, विचारों और व्यक्तियों की भूमि, समुद्र, आकाश और साइबरस्पेस में स्वतंत्र और आवाजाही होती है, जहां प्रौद्योगिकी का उपयोग लोगों को सशक्त बनाने के लिए किया जाता हैनकि उन्हें विभाजित करने, उन पर निगरानी रखने और उनका उत्पीड़न करने के लिए। 

एक ऐसी दुनिया जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था को निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा, खुलेपन, और पारदर्शिता द्वारा परिभाषित किया जाता है, और जहां समृद्धि को केवल इस बात से नहीं मापा जाता है कि देशों की अर्थव्यवस्थाएं कितनी बढ़ती हैं, बल्कि इस बात से भी कि उस विकास में कितने लोगों की हिस्सेदारी है। 

एक ऐसी दुनिया जो श्रम और पर्यावरण मानकों, स्वास्थ्य, शिक्षा, अधोसंरचना, प्रौद्योगिकी, सुरक्षा और अवसरों को लेकर शीर्ष पर पहुंचने की होड़ पैदा करती है। 

एक ऐसी दुनिया जहां अंतरराष्ट्रीय क़ानून और संयुक्तराष्ट्र चार्टर के मूल सिद्धांतों को क़ायम रखा जाता है, और जहां सार्वभौमिक मानवाधिकारों का सम्मान किया जाता है। 

हम प्रबुद्ध स्वहित की भावना के अनुरूप इस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएंगे जिसने लंबे समय से अमेरिकी नेतृत्व को अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में जीवंत रखा है। हमने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के निर्माण में मदद की तथा अन्य देशों और लोगों की प्रगति में निवेश किया क्योंकि हमने माना कि यह केवल मानवता के हित में ही नहीं, बल्कि हमारे हित में भी काम आएगा। हमने समझा कि धरती पर सबसे शक्तिशाली राष्ट्र होने के बावजूद, साझा वैश्विक नियम बनानाकतिपय सीमाओं को स्वीकार करनाऔर दूसरों की सफलता का समर्थन करना, अंततः अमेरिकी लोगों को अधिक समृद्ध, अधिक शांतिपूर्ण, अधिक सुरक्षित बनाएगा। 

यह आज भी कारगर हैवास्तव में, इस व्यवस्था को संरक्षित और मज़बूत करने में अमेरिका का प्रबुद्ध स्वहित इतना अहम पहले कभी नहीं रहा। 

लेकिन, हमारे प्रतिस्पर्धियों का दृष्टिकोण बुनियादी तौर पर इससे भिन्न है। उनकी परिकल्पना एक ऐसी दुनिया की है जिसे एक ही अनिवार्यता द्वारा परिभाषित किया गया है: अपने शासन को बचाना और पैसे बनाना। एक ऐसी दुनिया जहां तानाशाह अपने लोगों, अपने पड़ोसियों और इस सर्वग्रासी लक्ष्य के रास्ते में खड़े किसी भी व्यक्ति को नियंत्रित करने, बाध्य करने और कुचलने के लिए स्वतंत्र हैं। 

हमारे प्रतिस्पर्धियों का दावा है कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पश्चिमी जगत द्वारा थोपी गई है, जबकि वास्तव में इसमें शामिल मानदंड और मूल्य सार्वभौम आकांक्षा वाले हैंऔर अंतरराष्ट्रीय क़ानून में निहित हैं जिस पर उन्होंने भी हस्ताक्षर किए हैं। उनका दावा है कि सरकारें अपनी सीमाओं के भीतर जो करती हैं वह केवल उनका मामला है, और मानवाधिकार सापेक्ष मूल्य है जो एक समाज से दूसरे समाज में भिन्न होता हैउनका मानना है कि बड़े देश अपने प्रभाव क्षेत्र के हक़दार हैंयानि ताक़त और नज़दीकी उन्हें दूसरों पर अपनी पसंद थोपने का विशेषाधिकार देती है। 

इन दोनों दृष्टिकोणों के बीच का अंतर इससे अधिक स्पष्ट नहीं हो सकता। और जिस प्रतिस्पर्धा का हम सामना कर रहे हैं उसमें दांव इससे बड़ा नहीं हो सकतादुनिया के लिए, और अमेरिकी लोगों के लिए। 

जब राष्ट्रपति बाइडेन ने मुझसे विदेश मंत्री के रूप में काम करने के लिए कहा, तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि मेरा काम सबसे पहले अमेरिकी लोगों के कल्याण के लिए काम करने का होगाऔर उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हमें दो बुनियादी सवालों के जवाब देने होंगे: विदेशों में अमेरिका की साझेदारी हमें स्वदेश में कैसे मज़बूत बना सकती है? और हम दुनिया में खुद को मज़बूत बनाने के लिए घरेलू स्तर पर अमेरिका के नवीकरण का लाभ कैसे उठा सकते हैं? 

उन सवालों के हमारे जवाब पहले दिन से ही राष्ट्रपति बाइडेन की रणनीति को निर्देशित कर रहे हैं। 

हमने स्वदेश में अपने लोगों में निवेश के साथ शुरुआत की, इसलिए अमेरिका दुनिया में प्रतिस्पर्धा करने और नेतृत्व करने के लिए सबसे मज़बूत स्थिति में है। जैसा कि जॉर्ज केनन ने कहा था: “बहुत कुछ हमारे अपने समाज के स्वास्थ्य और शक्ति पर निर्भर करता है।और राष्ट्रपति बाइडेन और हमारी संसद ने हमारे स्वास्थ्य और ताक़त को सुदृढ़ करने के लिए अमेरिका में पीढ़ियों में हुआ सबसे बड़ा निवेश किया है। हम बुनियादी ढांचे को उन्नत कर रहे हैं, अनुसंधान को बढ़ावा दे रहे हैं, 21वीं सदी के प्रमुख उद्योगों और प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दे रहे हैं, अपने विनिर्माण आधार में नई जान डाल रहे हैं, और वैश्विक ऊर्जा संक्रमण प्रक्रिया का नेतृत्व कर रहे हैं। 

हमारी घरेलू और विदेश नीति पूरी तरह से एकीकृत है, मेरे करियर में, मेरे जीवनकाल में किसी भी समय से अधिक, और इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन की बड़ी भूमिका है, जिन्होंने हमारी आधुनिक औद्योगिक और नवाचार रणनीति को तैयार करने और उसका हमारी विदेश नीति के साथ तालमेल बिठाने में अग्रणी भूमिका निभाई है। 

स्वदेश में हमारा नवीकरण कार्य दुनिया में अमेरिकी नेतृत्व को मज़बूत करता है और उससे स्वयं भी मज़बूत होता है। और यहीं अमेरिकी कूटनीति की ताक़त और उद्देश्यों की बात आती है। हमारी रणनीति के मूल में है हमारी सबसे बड़ी सामरिक संपत्तिअमेरिका के गठबंधनों और साझेदारियोंको फिर से जोड़ना, पुनर्जीवित करना और नया रूप देना। 

हम नए तरीकों से अपनी मित्रता को गहरा, व्यापक और संरेखित करने के लिए उद्देश्यों को सामने रखकर तत्परता से काम कर रहे हैं, ताकि हम इस उभरते युग के तीन निर्णायक परीक्षणों पर खरा उतर सकें: एक तीव्र और दीर्घकालिक रणनीतिक प्रतिस्पर्धा; वैश्विक चुनौतियां जो हर जगह जीवन और आजीविका के लिए अस्तित्वगत खतरे पैदा करती हैं; और हमारे तकनीकी भविष्य एवं हमारे आर्थिक भविष्य को पुनर्संतुलित करने की तत्काल आवश्यकता। इसलिए हमारी परस्पर निर्भरता ताक़त का एक स्रोत है, नकि कमज़ोरी का। 

हम इसे उस माध्यम से कर रहे हैं जिसे मैं कूटनीतिक परिवर्ती ज्यामिति कहना पसंद करता हूं। हम उस समस्या से शुरू करते हैं जिसे हमें हल करने की आवश्यकता है और हम वहां से पीछे की ओर काम करते हैंसाझेदारों के ऐसे समूह को इकट्ठा करना जो उसके समाधान के लिए सही आकार और सही प्रकार के हों। हम इरादतन वो संयोजन चुन रहे हैं जो वास्तव में इस उद्देश्य के लिए उपयुक्त है। 

ये गठबंधन हवा में नहीं खड़े हैं। किसी एक समूह को बनाने और मज़बूत करने से ऐसी क्षमताएं आती हैं जिनका उपयोग अमेरिका के साझेदारों के विशाल नेटवर्क में कहीं भी किया जा सकता है। और हम जितने अधिक गठबंधन बनाएंगे, उतना ही अधिक हमें उनके बीच नया समन्वय मिलेगाजिसमें ऐसे तरीके भी शामिल हैं जिनका हमने शायद ढंग से पूर्वानुमान भी नहीं लगाया हो। और साथ मिलकर संपूर्ण, अपने अंशों के योग के मुक़ाबले कहीं अधिक प्रभावी हो जाता है। 

साथी लोकतंत्र हमेशा सहयोग के लिए हमारी पहली पसंद रहे हैं, और हमेशा रहेंगे। इसीलिए राष्ट्रपति बाइडेन ने हमारे सामने आने वाली साझा चुनौतियों से निपटने के लिए बड़े और छोटे, उभरते और स्थापित लोकतंत्रों के नेताओं को एक साथ लाने के लिए दो लोकतंत्र शिखर सम्मेलन आयोजित किए हैं। 

लेकिन कुछ प्राथमिकताओं पर, अगर हम अकेले या केवल अपने लोकतांत्रिक मित्रों के साथ आगे बढ़ें, तो हम पीछे रह जाएंगे। कई मुद्दों पर साझेदारों के व्यापक समूह की दरकार होती है, और इसका अतिरिक्त लाभ अधिक देशों के साथ मज़बूत संबंधों की स्थापना के रूप में मिलता है।   

इसलिए, हम किसी भी देश के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैंजिनमें वे देश भी शामिल हैं जिनके साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर हमारी असहमति हैजब तक कि वे अपने नागरिकों के कल्याण के लिए काम करना चाहते हों, साझा चुनौतियों के समाधान में योगदान देना चाहते हों और उन अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का सम्मान करते हों जिन्हें हमने साथ मिलकर बनाया है। इसमें केवल सरकारों के साथ ही नहीं, बल्कि सिविल सोसायटी, निजी क्षेत्र, शिक्षा जगत, और नागरिकों विशेषकर युवा प्रतिनिधियों के साथ भी काम करना शामिल है। 

यह जहां हम हैं वहां से अपने इच्छित गंतव्य तक पहुंचने की हमारी रणनीति का मूल है। और हम इसे चार प्रमुख तरीकों से आगे बढ़ा रहे हैं। 

पहली बात, हम अपने गठबंधनों और साझेदारियों को नवीकृत और गहरा कर रहे हैं, और नए गठबंधन बना रहे हैं।  

कुछ साल पीछे जाएं, तो कुछ लोगों ने खुलकर नैटो की क्षमताओं और प्रासंगिकता पर, और इसके प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाए थे। आज, यह गठबंधन पहले से कहीं अधिक बड़ा, मज़बूत और अधिक एकजुट है। हमने फ़िनलैंड के रूप में एक असाधारण रूप से सक्षम नया सदस्य जोड़ा है, स्वीडन जल्द ही इसमें शामिल होगा, और नैटो के दरवाज़े खुले रहेंगे। हमने अपनी प्रतिरोधक और रक्षा क्षमता को बढ़ाया है, जिसमें नैटो के पूर्वी हिस्से में चार नई बहुराष्ट्रीय बटालियनों को तैनात करना और साइबर हमलों से लेकर जलवायु परिवर्तन तक उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए रक्षा निवेश बढ़ाना शामिल है। 

हम जी7 को दुनिया के सबसे उन्नत लोकतंत्रों की संचालन समिति में परिवर्तित कर रहे हैं, अपनी राजनीतिक और आर्थिक ताक़त को जोड़कर केवल अपने लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों का समाधान करने के लिएबल्कि जी7 के बाहर के देशों को को उनकी जनता के कल्याण के वास्ते बेहतर उपाय उपलब्ध कराने के लिए भी। 

हमने यूरोपीय संघ के साथ अपने संबंधों में महत्वाकांक्षा का स्तर बढ़ाया है। सम्मिलित रूप से, वैश्विक अर्थव्यवस्था में हमारी हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है। हम इस शक्ति का इस्तेमाल अपने तकनीकी और आर्थिक भविष्य को आकार देने के लिए कर रहे हैं, ताकि उसमें हमारे साझा लोकतांत्रिक मूल्य प्रतिबिंबित हों। 

हम अहम द्विपक्षीय संबंधों को एक नए स्तर पर ले जा रहे हैं। 

जापान के साथ हमारा दशकों पुराना गठबंधन पहले से कहीं अधिक मज़बूत और परिणामी है, जो अंतरिक्ष से लेकर क्वांटम कंप्यूटिंग तक नई सीमाओं को छू रहा है। 

हमने उत्तर कोरिया से खतरों को रोकने के लिए अपना सहयोग बढ़ाते हुए हुए दक्षिण कोरिया के साथ वाशिंगटन घोषणा पर हस्ताक्षर किए हैं; और इज़रायल के साथ येरूशलम घोषणा पर हस्ताक्षर कर इज़रायल की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की, और इस संकल्प की पुनर्पुष्टि की है कि ईरान कभी भी परमाणु हथियार हासिल नहीं कर सके यह सुनिश्चित करने के लिए हम अमेरिकी शक्ति के सभी तत्वों का उपयोग करेंगे। 

हम सहयोगी देशों ऑस्ट्रेलिया और फ़िलीपींस के साथ सैनिक अड्डों और सामरिक तेवर संबंधी नई व्यवस्थाओं पर सहमत हुए हैं। 

अमेरिकाभारत सामरिक साझेदारी कभी भी इतनी अधिक गतिशील नहीं रही है, जब हम उन्नत सेमीकंडक्टर से लेकर रक्षा सहयोग तक हर मुद्दे पर मिलकर काम कर रहे हैं। 

और अभी कुछ दिन पहले हनोई में, राष्ट्रपति बाइडेन ने वियतनाम के साथ एक नई समग्र साझेदारी की शुरुआत की है। 

हमने क्षेत्रीय एकीकरण को सुदृढ़ किया है। मध्य पूर्व में, हमने इज़रायल और अरब राष्ट्रों के बीच हाल में बने और दशकों पुराने, दोनों स्तरों पर संबंधों को गहरा किया हैऔर हम नए संबंध निर्मित करने हेतु काम कर रहे हैं जिनमें सऊदी अरब के साथ संबंध शामिल है। 

हमारे अपने गोलार्ध मेंजो अपने इतिहास के सबसे बड़े सामूहिक प्रवासन और विस्थापन से गुजर रहा हैहमने 20 देशों को एकजुट किया है, और सुरक्षित, व्यवस्थित एवं मानवीय प्रवासन सुनिश्चित करने के लिए एक क्षेत्रीय रणनीति तैयार की है, साथ ही हम लोगों को पलायन के लिए प्रेरित करने वाले मूल कारणों का भी समाधान कर रहे हैं। 

और राष्ट्रपति बाइडेन ने परिवर्तनकारी साझेदारियों को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका, दक्षिण पूर्व एशिया, अफ्रीका, प्रशांत द्वीपीय देशों के नेताओं के साथ विभिन्न शिखर सम्मेलनों की मेज़बानी की है। 

दूसरे, हम विभिन्न मुद्दों पर और विभिन्न महाद्वीपों में नवोन्वेषी और पारस्परिक सुदृढ़ता लाने वाले तरीकों से अपने गठबंधन और साझेदारियां निर्मित कर रहे हैं। 

आइए बस एक मिनट के लिए उन सभी तरीकों पर गौर करें, जिनके ज़रिए हमने रूस के पूर्ण हमले के खिलाफ़ यूक्रेन का समर्थन करने के लिए सहयोगियों और साझेदारों के विभिन्न समूहों को सक्रिय किया है। 

रक्षा मंत्री ऑस्टिन के नेतृत्व में 50 से अधिक देश यूक्रेन की रक्षा का समर्थन करने तथा भविष्य के हमलों को रोकने और उन्हें नाकाम करने में सक्षम यूक्रेनी सेना तैयार करने के लिए सहयोग कर रहे हैं। 

हमने रूस पर अभूतपूर्व प्रतिबंध, निर्यात नियंत्रण और अन्य आर्थिक कीमतें थोपने के लिए बड़ी संख्या में देशों को एकजुट किया है। 

कई अवसरों पर, हमने संयुक्तराष्ट्र में 140 देशोंसभी सदस्य देशों में से दोतिहाई से अधिकको यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की पुष्टि करने और रूस की आक्रामकता और अत्याचारों की निंदा करने के लिए एकजुट किया है। 

हमने लाखों विस्थापित यूक्रेनियों को जीवनरक्षक सहायता दिलाने के लिए दानदाताओं, परोपकारी संस्थाओं, और मानवतावादी समूहों को एकजुट किया है। 

हमने यूक्रेन की अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए जी7, यूरोपीय संघ और दर्जनों अन्य देशों के साथ समन्वय किया है, ताकि उसके पावर ग्रिड को वापस बनाया जा सकेजिसके आधे से अधिक हिस्से को रूस ने नष्ट कर दिया है। 

परिवर्ती ज्यामिति ऐसी ही नज़र आती है: प्रत्येक समस्या के लिए, हम उद्देश्य के अनुरूप उपयुक्त गठबंधन तैयार कर रहे हैं। 

यूक्रेनी लोगों की उल्लेखनीय बहादुरी और दृढ़ता और हमारे समर्थन के कारण, पुतिन का युद्ध रूस के लिए एक सामरिक विफलता बनी हुई है। हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि यूक्रेन केवल क़ायम रहे, बल्कि एक जीवंत और समृद्ध लोकतंत्र के रूप में विकसित हो ताकि यूक्रेनवासी अपना भविष्य खुद लिख सकेंऔर अपने दम पर खड़े हो सकें। 

कुछ लोग अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए बने खतरों को क्षेत्र विशेष तक सीमित मानते थे। पर अब नहीं। रूस के हमले ने स्पष्ट कर दिया है कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर कहीं भी हुआ हमला हर जगह के लोगों को नुक़सान पहुंचाएगा। हमने इस तथ्य के आधार पर अपनी साझा सुरक्षा, समृद्धि और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपने ट्रांसअटलांटिक और हिंदप्रशांतीय सहयोगी देशों को परस्पर और क़रीब लाने का काम किया है। 

जब रूस ने यूक्रेन का समर्थन करने से रोकने के वास्ते देशों को सर्दियों में जमा देने के लिए यूरोप को तेल और गैस की आपूर्ति बंद कर दी, तो जापान और दक्षिण कोरिया ने अमेरिका के अग्रणी तरल प्राकृतिक गैस उत्पादकों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया कि यूरोपीय देशों के पास पूरी सर्दियों में अपने घरों को गर्म रखने के लिए ऊर्जा का पर्याप्त भंडार हो। जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड अब नैटो बैठकों में नियमित रूप से और सक्रिय भागीदारी करते हैं। 

इस बीच, यूरोपीय देश, कनाडा और अन्य देश पीआरसी (चीन) के आर्थिक दबाव के खिलाफ़ सक्षम बनाने के लिए एशिया में हमारे सहयोगियों और साझेदारों का साथ दे रहे हैं। और, हर क्षेत्र में अमेरिका के सहयोगी देश और साझेदार मज़बूत सप्लाई चेन तैयार करने, खासकर जब प्रमुख प्रौद्योगिकियों और उन्हें बनाने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण सामग्रियों की बात हो, के लिए अविलंब जुट गए हैं। 

हमने आधुनिक परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण तथा एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग और अन्य अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों पर अपने संयुक्त कार्य को आगे बढ़ाने के लिए ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ एक नई सुरक्षा साझेदारीऑकसखड़ी की है। 

अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया के बीच पिछले महीने कैंप डेविड में पहली बार नेताओं का त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन आयोजित करने के बाद, हम अपने संबंधों के हर पहलू को अगले स्तर पर ले जा रहे हैंसंयुक्त सैन्य अभ्यासों की संख्या बढ़ाने और खुफ़िया जानकारी साझा करने से लेकर अपने वैश्विक बुनियादी ढांचा निवेश पर परस्पर तालमेल करने तक। 

हमने अपने देशों और दुनिया के लिए टीकों के निर्माण से लेकर समुद्री सुरक्षा को मज़बूत करने और जलवायु चुनौतियों से निपटने तक, तमाम मुद्दों पर काम करने के लिए भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वाड साझेदारी का स्तर बढ़ाया है। 

जब मैंने पिछले साल चीन के प्रति प्रशासन कीनिवेश, तालमेल और प्रतिस्पर्धा करनेकी रणनीति निर्धारित की, तो हमने अपने सहयोगियों और साझेदारों के नेटवर्क के साथ समान उद्देश्यों पर काम करने का संकल्प भी लिया। किसी भी निष्पक्ष पैमाने पर देखा जाए तो अब हम पहले से कहीं अधिक एकजुट हैं, और अधिक समन्वित तरीके से कार्य कर रहे हैं। 

ये सब हमें चीन के साथ हमारी प्रतिस्पर्धा को मज़बूती वाली स्थिति से प्रबंधित करने, तथा संचार के खुले चैनलों का लाभ उठाते हुए स्पष्टता और विश्वसनीयता के साथ और मित्र देशों के साथ समवेत स्वर में अपनी चिंताओं को उठाने; दुनिया में हमारे लिए सबसे अहम मुद्दों पर सहयोग करने की हमारी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने; और गलत आकलन के जोखिम, जो संघर्ष का कारण बन सकता है, को कम करने में सक्षम बनाता है। 

तीसरे, हम इस दौर की कठिनतम साझा चुनौतियों से निपटने के लिए नए गठबंधन बना रहे हैं।  

जैसे वैश्विक बुनियादी ढांचे की खाई को पाटना। 

अब, मैं जहां भी जाता हूं उनमें से लगभग हर देश से ऐसी परियोजनाओं के बारे में सुनता हूं जो पर्यावरण के लिए विनाशकारी हैं और खराब तरीके से निर्मित हैं, जिनमें श्रमिकों का आयात किया जाता है और उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है, जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती हैं और जो उन देशों पर अवहनीय क़र्ज़ का बोझ डालती हैं। 

निसंदेह, सभी देश पारदर्शी, उच्चगुणवत्ता वाला, पर्यावरण की दृष्टि से सुदृढ़ निवेश पसंद करेंगे। लेकिन उनके पास हमेशा कोई दूसरा विकल्प नहीं होता है। हम अपने जी7 साझेदारों के साथ मिलकर उन्हें विकल्प देने के लिए काम कर रहे हैं। 

साथ मिलकर, हमने पार्टनरशिप ऑफ़ ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट, या पीजीआई के माध्यम से 2027 तक 600 बिलियन डॉलर के नए निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। और हम अपने सरकारी समर्थन को उन क्षेत्रों पर केंद्रित कर रहे हैं जहां जोखिम कम करने से निजी क्षेत्र के सैकड़ों अरब डॉलर के अतिरिक्त निवेश के द्वार खुलेंगे। 

तो आइए मैं आपके सामने कुछ त्वरित उदाहरण पेश करता हूं कि हम ये कैसे कर रहे हैं। हम लोबितो कॉरिडोर में विभिन्न स्तरों पर परिवर्तनकारी निवेश कर रहे हैंयह अफ़्रीका में अंगोला के लोबितो बंदरगाह को, डीआरसी होते हुए, ज़ाम्बिया से जोड़ने वाली विकास योजनाओं की एक श्रृंखला है, जिसमें एक नया बंदरगाह, नई रेल लाइनों और सड़कों का जाल, नई हरित बिजली परियोजनाएं, और नया हाईस्पीड इंटरनेट नेटवर्क शामिल हैं। 

यह परियोजना 500 मेगावाट बिजली प्रदान करेगीजो 2 मिलियन से अधिक लोगों को बिजली देने के लिए पर्याप्त है, कार्बन उत्सर्जन में हर साल लगभग 900,000 टन की कटौती करेगी, अफ़्रीकियों के लिए हज़ारों नौकरियांअमेरिकियों के लिए हज़ारों अतिरिक्त नौकरियांपैदा करेगी, तथा तांबा और कोबाल्ट जैसे महत्वपूर्ण खनिजों को वैश्विक बाज़ारों तक पहुंचाएगी। 

जब मैंने पिछले साल किंशासा का दौरा किया था, तो राष्ट्रपति चीसेकेदी ने कहा था कि लोबितो वह विकल्प है जिसका वे इंतज़ार कर रहे थेयानि शोषणकारी, खनन केंद्रित सौदों, जिन्हें उन्हें बहुत लंबे समय से स्वीकार करना पड़ रहा था, से अलग होने का मौक़ा 

और अभी पिछले सप्ताह ही जी20 की बैठक के दौरान, राष्ट्रपति बाइडेन और भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने एक और महत्वाकांक्षी परिवहन, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी कॉरिडोर की घोषणा की, जो एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप के बंदरगाहों को जोड़ेगा। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन और डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने और पूरे क्षेत्र में महत्वपूर्ण सप्लाई चेन को मज़बूत करने के लिए अमेरिका और भारत के साथ मिलकर काम करेंगे। 

विकासशील देशों में बुनियादी ढांचा निर्माण के ये और अन्य प्रयास अंततः हमारे अपने भविष्य में निवेश हैंअमेरिका के लिए अधिक स्थिर, समृद्ध साझेदार बनाना; अमेरिकी श्रमिकों, व्यवसायों और निवेशकों के लिए अधिक बाज़ार उपलब्ध कराना; और हमारे बच्चों के लिए एक अधिक संधारणीय धरती सुनिश्चित करना। 

अपने साझेदारों के लिए अधिक मज़बूत प्रस्तावों की पेशकश करना अमेरिका के लिए भी एक अच्छा सौदा है। 

यह बात वैश्विक खाद्य संकट से निपटने के लिए हमारी नेतृत्वकारी भूमिका पर भी लागू होती है। 

दुनिया भर में खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे 700 मिलियन से अधिक लोगोंयह संख्या कोविड, जलवायु संकट और संघर्षों के कारण बढ़ रही हैका संकट अब रूस द्वारा दुनिया के अन्नागार यूक्रेन से अनाज के प्रवाह को अवरुद्ध करने के कारण और भी गंभीर हो गया है। 

और फिर, मुझे उन देशों के नेताओं को सुनने का मौक़ा मिला है जो इस संकट से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। और उन्होंने मुझे जो बात बताई वो ये है: हां, उन्हें आपात सहायता की ज़रूरत है; लेकिन वास्तव में वे कृषि सक्षमता, नवाचार और आत्मनिर्भरता के लिए निवेश चाहते हैं, ताकि वे खुद को फिर से इस तरह के संकट में घिरा पाएं। हम इसी उद्देश्य से उनके साथ साझेदारी कर रहे हैं, 100 से अधिक अन्य देशों के साथ मिलकर जिन्होंने कदम उठाने के लिए वैश्विक रोडमैप पर हस्ताक्षर किए हैं। 

और हम अपनी खुद की मिसाल देते हुए नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। 

अमेरिका संयुक्तराष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के लिए दुनिया का सबसे बड़ा दानदाता हैहम इसके वार्षिक बजट का लगभग 50 प्रतिशत उपलब्ध कराते हैं। रूस और चीन? प्रत्येक का योगदान 1 प्रतिशत से भी कम है 

2021 से, अमेरिका ने खाद्य असुरक्षा और इसके मूल कारणों से निपटने के लिए 17.5 बिलियन डॉलर से अधिक की राशि भी प्रदान की है। इसमें यूएसएआईडी के फ्लैगशिप कार्यक्रम फ़ीड   फ़्यूचरजो खाद्य तंत्रों को मज़बूत करने के लिए 40 देशों के साथ हमारी साझेदारी हैके लिए हर साल एक अरब डॉलर से अधिक का योगदान शामिल है। और इसमें वीएसीएस नामक कार्यक्रम के लिए हमारा समर्थन भी शामिल है। यह नया कार्यक्रम हमने अफ्रीकी संघ और संयुक्तराष्ट्र के साथ सर्वाधिक पौष्टिक अफ्रीकी फसलों की पहचान करने, उनकी सर्वाधिक जलवायु सक्षम क़िस्मों का विकास करने और उसे उगाने वाली ज़मीन की गुणवत्ता सुधारने के लिए शुरू किया है। 

विभिन्न देश अपने लोगों का पेट जितने अच्छे से भर सकेंगे, वे उतने ही अधिक समृद्ध और अधिक स्थिर साझेदार साबित होंगे; अनाज और उर्वरक की आपूर्ति में कटौती पर उतारू देशों द्वारा वे उतना ही कम प्रताड़ित किए जा सकेंगे; उन्हें अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं से कम समर्थन की आवश्यकता होगी; वैश्विक खाद्य आपूर्ति जितनी अधिक प्रचुर होगी, अमेरिका सहित सभी बाजारों में क़ीमतें उतनी ही कम होंगी। 

हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए भी समान दृष्टिकोण अपनाने जा रहे हैं। 

जुलाई में, राष्ट्रपति बाइडेन ने सुरक्षित, निरापद और भरोसेमंद एआई तंत्र विकसित करने के लिए सात प्रमुख एआई कंपनियों की स्वैच्छिक प्रतिबद्धताओं के एक नए सेट की घोषणा की। और कल ही, आठ और अग्रणी कंपनियों ने उन प्रतिबद्धताओं को स्वीकार किया है। 

ये प्रतिबद्धताएं जोखिमों को कम करने और एआई में हो रही तेज़ प्रगति के लाभों को अधिकतम करने के बारे में एक अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने के लिए विभिन्न स्तर के साझेदारों के साथ हमारे संबंधों की नींव हैं। 

हम शुरुआत कर रहे हैं जी7 जैसे अपने सबसे क़रीबी साझेदारों के साथ, जहां हम उन्नत एआई विकसित करने वाली निजी कंपनियों और सरकारों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय आचार संहिताऔर सामान्य नियामक सिद्धांततैयार कर रहे हैं; और ब्रिटेन जैसे साझेदारों के साथ, जोकि दीर्घकालिक जोखिमों की बेहतर पहचान करने और संभावित खतरों को कम करने के लिए एआई सुरक्षा पर एक वैश्विक शिखर सम्मेलन आयोजित कर रहा है। 

अब, इन मानदंडों को प्रभावी बनाने के लिए, हमें विकासशील देशों सहित तमाम पक्षों की दलीलों और विचारों को चर्चा में शामिल करना होगा। हम ऐसा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 

एआई के क्षेत्र में अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त को बनाए रखने और वास्तव में हर जगह लोगों को लाभ पहुंचाने वाले एआई नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एआई के उपयोग को आकार देना महत्वपूर्ण है, जैसे व्यक्तियों में घातक बीमारियों के खतरे की भविष्यवाणी करने में या अधिक गंभीर और अधिक बारंबरता से आने वाले तूफ़ानों के असर की भविष्यवाणी करने में। सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति हेतु एआई के उपयोग पर सरकारों, प्रौद्योगिकी कंपनियों, सिविल सोसायटी का ध्यान केंद्रित करने के लिए अगले सप्ताह संयुक्तराष्ट्र महासभा के सत्र के दौरान एक बैठक, जिसकी मेज़बानी मैं करूंगा, के आयोजन के पीछे यही विचार है। 

मैं आपको बस एक आखिरी उदाहरण देता हूं कि कैसे हमने एक ऐसी समस्या का समाधान करने के लिए एक नया गठबंधन बनाया जिसे कई लोगों ने शायद विदेश नीति का मुद्दा नहीं माना हो: सिंथेटिक दवाएं। 

अकेले पिछले साल, लगभग 110,000 अमेरिकियों की अत्यधिक मात्रा में नशीली दवाओं के सेवन से मौत हो गई। उनमें से दोतिहाई मौतों की वजहों में सिंथेटिक ओपिओइड दवाएं शामिल थीं, जिससे सिंथेटिक ओपिओइड दवाएं 18 से 49 वर्ष के युवा अमेरिकियों में मौत की शीर्ष वजह बन गई हैं। इस संकट के कारण अकेले 2020 में अमेरिका को लगभग 1.5 ट्रिलियन डॉलर का नुक़सान हुआ, जबकि इससे हमारे देश में परिवारों और समुदायों को होने वाली पीड़ा के बारे में कुछ भी कहना कम होगा। 

हम इस संकट में अकेले नहीं हैं। दुनिया के हर क्षेत्र में सिंथेटिक दवाओं के उपयोग में चिंताजनक वृद्धि हो रही है, और कोई भी देश अकेले इस समस्या का समाधान नहीं कर सकता है। 

इसीलिए हमने सिंथेटिक दवाओं के अवैध निर्माण और तस्करी को रोकने, इससे जुड़े उभरते खतरों और इसके उपयोग के पैटर्न का पता लगाने, और इससे संबंधित जनस्वास्थ्य पहलों को आगे बढ़ाने के लिए हमने एक नया वैश्विक गठबंधन बनाया है। इस गठबंधन में 100 से अधिक सरकारें और एक दर्जन अंतरराष्ट्रीय संगठन शामिल हो चुके हैं। साथ मिलकर, हम संयुक्त प्राथमिकताओं पर समन्वय कर रहे हैं; असरकारी नीतियों की पहचान कर रहे हैं; चिकित्सा प्रदाताओं, रसायन निर्माताओं, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों और हमारे प्रयासों से जुड़े अन्य प्रमुख हितधारकों को एकजुट कर रहे हैं। हम इस कार्य के विस्तार के लिए अगले सप्ताह न्यूयॉर्क में बैठक करेंगे। 

बेशक, ये केवल ये क्षेत्र ही ऐसे नहीं हैं जहां हम गठबंधन बना रहे हैं या क़ायम रख रहे हैं। हम उनका उपयोग सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए भी कर रहे हैं, जिनमें होर्मुज़ जलडमरूमध्य से होकर गुजरने वाले जहाज़ों की सुरक्षा के लिए स्थापित बहुराष्ट्रीय टास्क फ़ोर्स से लेकर आइसिस को हराने के लिए गठित देशों के दीर्घकालिक गठबंधन तक शामिल हैं। 

हमने नए और पुराने संघर्षों के कूटनीतिक समाधान के लिए दबाव डालने के वास्ते सरकारों, क्षेत्रीय संगठनों और नागरिकों के साथ साझेदारी जारी रखी है। इनमें इथियोपिया और पूर्वी डीआरसी से लेकर अर्मेनिया और अज़रबैजान, तथा यमन तक के संघर्ष शामिल हैं, जहां हमने एक नाज़ुक संघर्षविराम समझौता कराने और उसे क़ायम रखने में मदद की है। 

हमारी मध्यस्थता ने इज़रायल और लेबनान को अपने देशों के बीच समुद्री सीमा निर्धारित करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते तक पहुंचने में मदद की, जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों और उससे बाहर के लोगों के लाभ के लिए महत्वपूर्ण ऊर्जा भंडारों का विकास संभव हो सकेगा। 

हम बुनियादी ढांचे, खाद्य सुरक्षा, एआई, सिंथेटिक दवाओं, नएपुराने संघर्षों जैसे अहम मुद्दों पर वास्तविक प्रगति के लिए सहयोगियों और साझेदारों को जितना अधिक एकजुट करते हैं, हम अपने प्रस्तावों की ताक़त का उतना ही अधिक प्रदर्शन करते हैं। 

किसी भी हालिया चुनौती को लें जहां दुनिया भर के देशों ने नेतृत्व के लिए शक्तिशाली देशों की ओर देखा है। अधिक से अधिक, हमारे प्रतिस्पर्धी किनारे पर बैठे रहे, अपनी चेकबुक समेट ली। बदतर स्थिति की बात करें, तो उन्होंने बुरी समस्याओं को और भी गंभीर बना दिया और दूसरों के कष्ट का फ़ायदा उठायाजैसे, देशों को टीके बेचने के लिए राजनीतिक रियायतें लेना; भाड़े के सैनिकों को तैनात करना जो अस्थिर स्थानों को कम सुरक्षित बनाते हैं, स्थानीय संसाधनों को लूटते हैं और अत्याचार करते हैं; लोगों की बुनियादी ज़रूरतोंहीटिंग, गैस, भोजन, प्रौद्योगिकी आदिको उन्हें धमकाने और मजबूर करने का हथियार बना लेना। 

इस अहम मोड़ पर, हम देशों को दिखा रहे हैं कि हम कौन हैं। वैसे ही हमारे प्रतिस्पर्धी भी अपनी असलियत ज़ाहिर कर रहे हैं। 

आखिर में, हम वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को मज़बूत करने के लिए अपने पुराने और नए गठबंधनों को एक साथ ला रहे हैं। 

जिसका आरंभ मौजूदगी से होता है। जब अमेरिका के पास मेज पर एक सीट हो, तो हम अमेरिकी लोगों के हितों और मूल्यों को प्रतिबिंबित करने और भविष्य के लिए अपनी संकल्पना को आगे बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और उनके द्वारा बनाए गए मानदंडों को आकार दे सकते हैं। 

पदभार ग्रहण करने के बाद, राष्ट्रपति बाइडेन पेरिस जलवायु समझौते और विश्व स्वास्थ्य संगठन में फिर से शामिल होने के लिए तेज़ी से आगे बढ़े। हमने संयुक्तराष्ट्र मानवाधिकार परिषद में एक सीट वापस जीत ली। हम हाल ही में यूनेस्कोसंयुक्तराष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठनमें फिर से शामिल हुए हैं, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता को परिभाषित करने वाले मानदंडों को आकार देने में भूमिका निभाएगा। 

हमने संयुक्तराष्ट्र अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ और अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन जैसी मानकनिर्धारक अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का नेतृत्व करने हेतु सबसे योग्य प्रतिनिधियों को चुनने के लिए गहन प्रतिस्पर्धा की है। इन प्रतिस्पर्धाओं में जीतने वाली दो अमेरिकी केवल इन पदों के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार थींबल्कि प्रत्येक अपने संबंधित संस्थानों का नेतृत्व करने वाली पहली महिला भी हैं। 

अब, चाहे ये संस्थाएं कितनी भी अपूर्ण क्यों हों, हमारे लोगों के लिए अहम मुद्दों पर उनकी वैधता और क्षमताओं का कोई विकल्प नहीं है। इसलिए उनके माध्यम से काम करने और उन्हें बेहतर काम करने लायक़ बनाने मेंऔर केवल अमेरिका के लिए, बल्कि सभी के लिएहमारा गहन स्वार्थ है। 

दुनिया भर में जितने अधिक लोग और देश संयुक्तराष्ट्र और उसके जैसे संगठनों को अपने हितों, अपने मूल्यों, अपनी आशाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए देखेंगेये संस्थाएं उतनी ही अधिक प्रभावी होंगी और उतना ही अधिक हम उन पर भरोसा कर सकेंगे। 

इसीलिए हमने भौगोलिक रूप से विविध क्षेत्रों के दृष्टिकोणों को शामिल करने के लिए संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार की एक सकारात्मक संकल्पना सामने रखी हैजिसमें अफ़्रीका और लैटिन अमेरिका और कैरेबियन से नए स्थायी और गैरस्थायी सदस्यों को शामिल करने का विचार शामिल है। 

अमेरिकी वित्त मंत्री येलेन के नेतृत्व में, हम बहुपक्षीय विकास बैंकों को में नई ऊर्जा डालने और उनमें सुधार करने का बड़ा प्रयास कर रहे हैं ताकि वे निम्न और मध्यम आय वाले देशों की तात्कालिक ज़रूरतों को पूरा कर सकें, जिन्हें विभिन्न चुनौतियों का एक साथ सामना करना पड़ रहा: जलवायु संकट, कोविड का आर्थिक असर, मुद्रास्फीति, और भारी क़र्ज़ की समस्या। 

राष्ट्रपति बाइडेन इन देशों में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने, जनस्वास्थ्य और अन्य अहम क्षेत्रों में निवेश के लिए सस्ती दरों पर अधिक धन उपलब्ध कराने के लिए विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की नया ऋण देने की क्षमता को संभव बनाने के लिए अमेरिकी कांग्रेस के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। 

सम्मिलित रूप से, अमेरिकी अगुआई वाले ये प्रयास निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए लगभग 50 बिलियन डॉलर की ऋण क्षमता सृजित कर सकेंगे। 

और हमारे गंभीर प्रयास से, विश्व बैंक जल्दी ही जलवायु संबंधी नुक़सान और प्राकृतिक आपदाओं के बाद देशों को ऋण भुगतान स्थगित करने की रियायत देने में सक्षम होगा। 

जब हम अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को मजबूत करते हैंऔर जब वे सुरक्षा सुनिश्चित करने, अवसरों का विस्तार करने, अधिकारों की रक्षा करने के अपने मूल वादों को पूरा करते हैंतो हम नागरिकों और देशों का एक व्यापक गठबंधन बना रहे होते हैं जो अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को एक ऐसी प्रणाली के रूप में देखते हैं जो प्रत्यक्ष तरीकों से उनके जीवन को बेहतर बनाती है, और इसलिए उसे बरक़रार रखा जाना चाहिए और उसका बचाव किया जाना चाहिए। 

इसलिए जब दुनिया के बीजिंग और मॉस्को जैसे सत्ता केंद्र बहुपक्षीय प्रणाली के नियमों को फिर से लिखने या उसके स्तंभों को तोड़ने की कोशिश करेंगे; जब वे झूठा दावा करेंगे हैं कि यह व्यवस्था बाक़ियों की क़ीमत पर केवल पश्चिम के हितों को आगे बढ़ाने के लिए क़ायम हैतो वैसे में राष्ट्रों और लोगों का एक बढ़ता हुआ वैश्विक समूह कहेगा, और कहने के लिए खड़ा होगा: नहीं, जिस तंत्र को आप बदलने की कोशिश कर रहे हैं वो हमारा तंत्र है; वो हमारे हितों की पूर्ति करता है। 

और उतनी ही महत्वपूर्ण बात ये है, कि जब हमारे हमवतन अमेरिकी पूछें कि हमें विदेशों में अपने निवेश के बदले में क्या मिल रहा है, तो हम अमेरिकी परिवारों और समुदायों को मिल रहे ठोस लाभों की ओर इशारा कर सकते हैं, भले ही हम कूटनीति और वैश्विक विकास उद्देश्यों के लिए अपने संघीय बजट का एक प्रतिशत से भी कम खर्च करते हैं। 

उन लाभों में अमेरिकी श्रमिकों और व्यवसायों के लिए अधिक बाज़ारों का खुलना; अमेरिकी उपभोक्ताओं को अधिक किफ़ायती सामान उपलब्ध होना; अमेरिकी परिवारों के लिए अधिक विश्वसनीय भोजन और ऊर्जा आपूर्ति संभव होना, जिससे पेट्रोल और खाद्य पदार्थों की क़ीमतें कम हो गईं; अधिक मज़बूत स्वास्थ्य तंत्र निर्मित होना जो अमेरिका में फैलने से पहले घातक बीमारियों की रोकथाम कर सकता है; और, अधिक संख्या में ऐसे सहयोगी देशों और साझेदारों का होना जो आक्रामकता को रोकने और हमारे साथ मिसतक वैश्विक चुनौतियों से निपटने में अधिक प्रभावी हैं। 

इन और कई अन्य कारणों से, अंतररराष्ट्रीय व्यवस्था से अमेरिका को मिलने वाले फ़ायदे इसमें हमारे निवेश के मुक़ाबले कहीं अधिक हैं। 

इस निर्णायक घड़ी में अमेरिका का वैश्विक नेतृत्व कोई बोझ नहीं है। यह हमारी स्वतंत्रता, हमारे लोकतंत्र और हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने; अमेरिकी श्रमिकों और व्यवसायों के लिए अवसर पैदा करने; और अमेरिकी नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक आवश्यकता है। 

डीन एचेसनजिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विदेश विभाग का नेतृत्व कियाने उस अवधि के अपने विवरण, प्रेज़ेंट एट क्रिएशन, में कहा, उन्हीं के शब्दों में – “इतिहास पीछे लिखा जाता है, लेकिन [इसे] आगे जीया जाता है। 

बेशक, एचेसन एक अलग अहम मोड़ के बारे में लिख रहे थे, लेकिन उनके शब्द गहरी अनिश्चितता और संयोग वाले हर काल के लिए सच हैं, जिसमें हमारा वर्तमान दौर भी शामिल है।   

पीछे मुड़कर देखने पर, सही निर्णय स्वाभाविक और अंतिम परिणाम लगभग अपरिहार्य प्रतीत होते हैं। 

पर ऐसा कभी नहीं होता। 

वास्तविक समय में, सब कुछ अस्पष्ट होता है। जिन नियमों ने व्यवस्था, स्थिरता और पूर्वानुमेयता का भाव दिया है, उन्हें अब सुनिश्चित मानकर नहीं बैठा जा सकता। हर कार्रवाई में जोखिम, हमारे नियंत्रण से परे प्रवाह निहित होते हैं, और अनगिनत ज़िंदगियां दांव पर होती हैं। 

फिर भी वैसे समय में भीवास्तव में, ख़ासकर मौजूदा समय मेंनीति निर्माताओं के पास कोई रास्ता चुनने से पहले धुंध छंटने का इंतज़ार करने का विकल्प नहीं है। 

हमें कदम उठाने चाहिए, और निर्णायक रूप से उठाने चाहिए। 

हमें इतिहास को आगे बढ़ाना चाहिएजैसा एचेसन ने किया, जैसा ब्रेज़िंस्की ने किया, जैसा कि ऐसे महत्वपूर्ण क्षणों में अमेरिका का मार्गदर्शन करने वाले अन्य सभी महान रणनीतिकारों ने किया। 

हमें इतिहास की पतवार को थामकर आगे का रास्ता तय करना चाहिए, उन बातों से निर्देशित होकर जोकि अनिश्चित समय में भी निश्चित हैंहमारे सिद्धांत, हमारे साझेदार, अपने गंतव्य के प्रति हमारा दृष्टिकोणताकि, जब धुंध छंट जाए, तो उस समय उभरने वाली दुनिया का झुकाव स्वतंत्रता की ओर, शांति की ओर, और अपने समय की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर हो।    

इसे राष्ट्रपति बाइडेन से बेहतर कोई नहीं समझता। और उनके द्वारा उठाए गए कदमों के कारण आज अमेरिका दुनिया में ढाई साल पहले की तुलना में काफी मज़बूत स्थिति में है। 

मुझे विश्वास है कि, अब से दशकों बाद, जब इस अवधि का इतिहास लिखा जाएगाशायद आप में से कुछ लोगों द्वारातो उसमें दिखेगा कि अमेरिकी कूटनीति की ताक़त और उद्देश्यों की पुनर्कल्पना के लिए हमने जिस तरह से कार्य कियानिर्णायक रूप से, रणनीतिक रूप से, विनम्रता और आत्मविश्वास के साथउसकी वजह से हमने अमेरिका का भविष्य सुरक्षित किया, हमने अपने लोगों का भला किया, हमने एक अधिक स्वतंत्र, खुले और समृद्ध युग की नींव रखीअमेरिकी लोगों के लिए और दुनिया भर के लोगों के लिए। 

हमारी बात सुनने के लिए बहुतबहुत धन्यवाद 

(तालियां।) 

धन्यवाद। 


मूल स्रोत: https://www.state.gov/secretary-antony-j-blinken-remarks-to-the-johns-hopkins-school-of-advanced-international-studies-sais-the-power-and-purpose-of-american-diplomacy-in-a-new-era/. 

अस्वीकरण: यह अनुवाद शिष्टाचार के रूप में प्रदान किया गया है और केवल मूल अंग्रेज़ी स्रोत को ही आधिकारिक माना जाना चाहिए। 

U.S. Department of State

The Lessons of 1989: Freedom and Our Future