संयुक्तराष्ट्र में अमेरिकी मिशन
प्रेस एवं लोक कूटनीति कार्यालय
यथा संबोधित
अक्टूबर 30, 2023

धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय। कमिश्नर जनरल लाज़ारिनी, कार्यकारी निदेशक रसेल, और निदेशक डॉटेन, मैं सर्वाधिक कठिन परिस्थितियों में किए गए साहसिक कार्य के लिए आपके और आपकी टीमों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहती हूं। गाज़ा में मानवीय संकट के बीच लोगों की जान बचाने के लिए मानवीय सहायताकर्मी आगे आए हैं, जैसा कि वे हमेशा करते हैं। यह कार्य वीरतापूर्ण है, लेकिन दुखद है कि इसमें बड़ा जोखिम भी है।

हम इस संघर्ष की शुरुआत के बाद से गाज़ा में संयुक्तराष्ट्र के 60 से अधिक कर्मचारियों की मौत का शोक मनाते हैं। संयुक्तराष्ट्र कर्मियों के जीवन की रक्षा की जानी चाहिए। मानवीय सहायता कार्यकर्ताओं के जीवन की रक्षा की जानी चाहिए। पत्रकारों के जीवन की रक्षा की जानी चाहिए।

सभी नागरिकों – निर्दोष नागरिकों, इज़रायली और फ़लस्तीनियों, पुरुषों और महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों – के जीवन की रक्षा की जानी चाहिए। जब आम लोगों के जीवन की रक्षा की बात आती है तो उसमें कोई पदानुक्रम नहीं होता – नागरिक तो नागरिक होते हैं, बस एक नागरिक।

साथियों, हमास द्वारा 1,400 से अधिक निर्दोष नागरिकों की हत्या किए जाने और 200 से अधिक लोगों को बंधक बनाए जाने के तीन सप्ताह हो गए हैं। गाज़ा स्थित आतंकवादी अभी भी इज़रायल की ओर रॉकेट दाग रहे हैं। दर्जनों सदस्य देशों के नागरिकों को अभी भी हमास द्वारा बंधक बनाकर रखा जा रहा है।

और गाज़ा में मानवीय संकट दिन पर दिन और भी गंभीर होता जा रहा है। दर्द, दुख और पीड़ा की इस घड़ी में, हम सभी को एक साथ आना चाहिए। हम सभी को एकजुट होकर सारे बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई का आह्वान करना चाहिए; गाज़ा में फ़लस्तीनी नागरिकों की गंभीर मानवीय जरूरतों को पूरा करना चाहिए; आतंकवाद से अपनी रक्षा करने के इज़रायल के अधिकार की पुष्टि करनी चाहिए; और सभी पक्षों को याद दिलाना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का सम्मान हो। इसका मतलब ये है कि हमास को फ़लस्तीनियों को मानव ढाल के रूप में उपयोग नहीं करना चाहिए – यह अकल्पनीय क्रूरता का काम है और युद्ध के क़ानून का उल्लंघन है। और इसका मतलब ये है कि इज़रायल को आम नागरिकों को नुकसान से बचाने के लिए हरसंभव सावधानी बरतनी चाहिए।

कल, राष्ट्रपति बाइडेन ने प्रधानमंत्री नेतन्याहू से बात की और दोहराया कि इज़रायल को अपने नागरिकों को आतंकवाद से बचाने का अधिकार है और यह उसका दायित्व है, लेकिन उसे अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के अनुरूप ऐसा करना चाहिए। यह तथ्य कि हमास असैन्य क्षेत्रों के भीतर और उसकी आड़ में काम करता है, इज़रायल के काम को और भी कठिन बना देता है। लेकिन इससे आतंकवादियों और निर्दोष नागरिकों के बीच अंतर करने की उसकी ज़िम्मेदारी कम नहीं होती।

साथियों, अमेरिका वेस्ट बैंक में फ़लस्तीनी नागरिकों के ख़िलाफ़ हिंसा में उल्लेखनीय वृद्धि पर भी बहुत चिंतित है। हम फ़लस्तीनी नागरिकों की हत्या की घटनाओं की निंदा करते हैं – और हम इज़रायल से फ़लस्तीनी प्राधिकरण के साथ मिलकर काम करते हुए इन हमलों को रोकने का आग्रह करते हैं।

बाइडेन प्रशासन गाज़ा में दूरसंचार तंत्र ठप होने के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता को भी साझा करता है। हमने इज़रायली नेताओं को इससे अवगत करा दिया है, और हम समझते हैं कि संचार नेटवर्क बहाल होना शुरू हो गया है। ये ज़रूरी है। दूरसंचार तंत्र ठप होने से नागरिकों, संयुक्तराष्ट्र कर्मियों और मानवीय सहायता कार्यकर्ताओं का जीवन खतरे में पड़ता है – और इससे गाज़ा में मानवीय संकट बढ़ने का जोखिम जुड़ा है।

ज़िंदगियां अधर में लटकी हुई हैं। और इसलिए हम सभी को आगे आना चाहिए – जैसा कि अमेरिका ने किया है। हम फ़लस्तीनी लोगों के लिए सबसे बड़े दानदाता हैं, जिसने 2021 से यूएनआरडब्ल्यूए को एक बिलियन डॉलर से अधिक की सहायता दी है। और राष्ट्रपति बाइडेन ने हाल ही में गाज़ा और वेस्ट बैंक में फ़लस्तीनी लोगों के लिए अतिरिक्त 100 मिलियन डॉलर की मानवीय सहायता की घोषणा की है।

लेकिन निसंदेह, चाहे कितनी भी सहायता दी जाती हो यदि वह ज़रूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच पाए तो फिर उसका कोई मतलब नहीं। इसलिए अमेरिका सहायता का त्वरित और सतत प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए इज़रायल, मिस्र, संयुक्तराष्ट्र और अन्य साझेदारों के साथ लगातार काम कर रहा है। भोजन, ईंधन, पानी, दवा और अन्य आवश्यक सेवाएं बहाल की जानी चाहिए। हालांकि गाज़ा में प्रवेश करने वाले ट्रकों की संख्या निरंतर बढ़ रही है, पर ये पर्याप्त नहीं है। गाज़ा पहुंचने वाली मानवीय सहायता की मात्रा को तत्काल बढ़ाया जाना चाहिए। हमें ज़िंदगियां बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करने चाहिए।

और राष्ट्रपति बाइडेन ने बंधकों की रिहाई, मानवीय सहायता को गाज़ा पहुंचाने एवं वितरित करने, और नागरिकों को सुरक्षित मार्ग मुहैया कराने का अवसर देने के वास्ते लड़ाई में मानवीय विराम हेतु अपना समर्थन व्यक्त किया है, जिससे लोगों को मानवीय सहायता पाने या सुरक्षित स्थानों पर जाने में मदद मिलेगी। हम सभी सदस्य देशों से संकट को फैलने से रोकने की दिशा में काम करने का भी निरंतर आग्रह कर रहे हैं।

पिछले हफ़्ते, विदेश मंत्री ब्लिंकन ने इस परिषद से उन सरकारी या गैरसरकारी पक्षों को एक दृढ़ और एकजुट संदेश भेजने का आग्रह किया था जो इज़रायल के खिलाफ़ एक और मोर्चा खोलने की सोचते हैं या जो अमेरिका सहित इज़रायल के साझेदारों को निशाना बना सकते हैं: वे ऐसा नहीं करें। यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा का मामला है। और इस परिषद को आवाज़ उठानी चाहिए।

यह उन कारणों में से एक है जिनके मद्देनज़र गत सप्ताह अमेरिका ने सुरक्षा परिषद में एक मज़बूत और संतुलित प्रस्ताव पेश किया था। एक ऐसा प्रस्ताव जिस पर हमने सभी सदस्य देशों से परामर्श किया और आम सहमति बनाने की कोशिश की। उस प्रस्ताव को इस परिषद के बहुमत का समर्थन प्राप्त हुआ, लेकिन रूस और चीन ने उसे पारित नहीं होने दिया।

उस प्रस्ताव पर वीटो के बाद, ये विषय महासभा में चला गया – जहां सदस्य राष्ट्रों को एक ऐसे प्रस्ताव पर मतदान करने के लिए कहा गया जो पूरी तरह से एकतरफा था और जिसमें दो प्रमुख शब्द गायब थे: हमास और बंधक। ये जानबूझकर की गई चूकें हैं, जो हमास की क्रूरता को छुपाती हैं और उसे सहारा देती हैं।

विशेष आपात सत्र के दौरान, हमने कुछ सदस्य देशों को परोक्ष रूप से हमास के हिंसक कृत्यों का समर्थन करते हुए भी सुना। और मैं सचमुच स्तब्ध और क्षुब्ध थी। यह घृणित है। और इसके खिलाफ़ आवाज़ उठाई जानी चाहिए। महासभा द्वारा हमास के कृत्यों की निंदा नहीं किया जाना नितांत अनुचित है।

साथियों, जैसा कि मैंने पहले कहा है, अमेरिका किसी भी परिषद सदस्य के साथ – किसी भी सदस्य राष्ट्र के साथ – परामर्श जारी रखेगा जोकि एक मज़बूत और संतुलित प्रस्ताव अपनाने के लिए प्रतिबद्ध हो। लेकिन परिषद का कोई भी प्रस्ताव प्रत्यक्ष कूटनीतिक प्रयासों का समर्थन करे, जो ज़िंदगियां बचा सके और क्षेत्र के लिए अधिक शांतिपूर्ण एवं सुरक्षित भविष्य की संभावनाओं को आगे बढ़ा सके।

इस कठिन घड़ी में भी हमें आशा नहीं छोड़नी चाहिए। हमें उज्जवल भविष्य की दिशा में काम करना चाहिए। एक ऐसा भविष्य जहां इज़रायलियों और फ़लस्तीनियों को समान रूप से सुरक्षा, स्वतंत्रता, न्याय, अवसर और सम्मान प्राप्त हो। एक ऐसा भविष्य जहां फ़लस्तीनी आत्मनिर्णय के अपने वैध अधिकार को और अपना स्वयं का राष्ट्र हासिल कर पाएं। एक ऐसा भविष्य जहां दो लोकतांत्रिक राष्ट्र, इज़रायल और फ़लस्तीन, साथ-साथ शांतिपूर्वक रह सकें। यह वो भविष्य नहीं है जो हमास देखना चाहता है। लेकिन इस भविष्य को संभव बनाने के लिए हम सबको मिलकर काम करना चाहिए।

बहुत बहुत धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय।


मूल स्रोत: https://usun.usmission.gov/remarks-by-ambassador-linda-thomas-greenfield-at-a-un-security-council-meeting-on-the-situation-in-the-middle-east/

अस्वीकरण: यह अनुवाद शिष्टाचार के रूप में प्रदान किया गया है और केवल मूल अंग्रेज़ी स्रोत को ही आधिकारिक माना जाना चाहिए।

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The Lessons of 1989: Freedom and Our Future