अमेरिकी विदेश विभाग
प्रवक्ता का कार्यालय
अगस्त 17, 2023

रूस द्वारा दुष्प्रचारित मिथक इस कड़वी सच्चाई को छिपा नहीं सकते कि (1) प्रतिबंध रूस के अनाज पर लागू नहीं होते, (2) यूक्रेन का अनाज कम आय वाले देशों में पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने के लिए अहम है, (3) रूस यूक्रेन की अनाज आपूर्ति का प्रतिस्थापन नहीं कर सकता, (4) क्रेमलिन दान देने की अपनी पेशकश से कहीं अधिक अनाज नष्ट करने की राह पर है, और (5) हर दिन अधिकाधिक रूसी मिसाइलें और ड्रोन जानबूझकर उस महत्वपूर्ण आपूर्ति तंत्र को निशाना बना रहे हैं जो शेष विश्व को यूक्रेन का अनाज उपलब्ध कराता है और खाद्य पदार्थों की क़ीमतों को स्थिर रखता है।

“मॉस्को वैश्विक तबाही के लिए लड़ाई लड़ रहा है: ये सिरफिरे दुनिया के खाद्य बाज़ार को ध्वस्त करना चाहते हैं – उन्हें महंगाई का संकट खड़ा करना है, उन्हें आपूर्ति में बाधा पैदा करनी है। उनको लगता है कि वे इस संकट में पैसा बना सकते हैं। मॉस्को में बैठे ये लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि वे इससे पैसा कमा सकते हैं। ये बहुत ही खतरनाक उम्मीदें हैं।” – वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की, यूक्रेन के राष्ट्रपति, 2 अगस्त 2023

17 जुलाई 2023 को रूस झूठे बहाने बनाकर काला सागर अनाज पहल (बीएसजीआई) से हट गया। इस एकतरफा कार्रवाई ने उस समझौते को स्थगित कर दिया, जिसके तहत वैश्विक बाज़ारों में लगभग 33 मिलियन टन अनाज पहुंचा था, जिसमें से आधे से अधिक अनाज और दो-तिहाई गेहूं विकासशील देशों को भेजा गया। यह 18 बिलियन डबल रोटियों के बराबर था। कुछ दिनों बाद, अनाज की वैश्विक क़ीमत 17 प्रतिशत बढ़ गई, और रूस ने रिकॉर्ड मात्रा में अनाज निर्यात की घोषणा की। क्रेमलिन ने यूक्रेन के बंदरगाहों और अनाज केंद्रों पर हमले बढ़ाकर दुनिया के सबसे कमज़ोर लोगों की क़ीमत पर बाज़ार की परिस्थिति अपने लिए अधिक फ़ायदे की बना दी। रूस ने बीएसजीआई के जुलाई 2022 से जुलाई 2023 तक प्रभावी रहने के दौरान इस पहल को बदनाम करने के लिए बारंबार दुष्प्रचार का सहारा लिया और इससे हटने की धमकी दी।

बीएसजीआई से मॉस्को के हटने के बाद, क्रेमलिन ने पांच झूठे मिथकों को क़ायम रखने के प्रयास में डेटा में हेरफेर करना, तथ्यों को नकारना और आंकड़ों में फेरबदल करना जारी रखा है। सबसे पहले, क्रेमलिन ने रूस को अनाज और उर्वरक निर्यात पर प्रतिबंधों के शिकार के रूप में चित्रित करने की झूठी कोशिश की, जबकि वास्तव में, रूस के खुद की निर्यात पाबंदियों और यूक्रेन के खिलाफ़ उसके अवैध युद्ध ने निर्यात को बाधित किया है। दूसरी बात, मॉस्को का ये झूठा दावा है कि कम आय वाले देशों को बीएसजीआई से कोई लाभ नहीं हुआ, जबकि वास्तव में, लगभग 20 मिलियन टन अनाज विकासशील देशों को गया है। इस पहल ने वैश्विक क़ीमतों को स्थिर कर और सर्वाधिक ज़रूरतमंद देशों को यूक्रेन की अनाज आपूर्ति कर संयुक्तराष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफ़पी) को भी काफी फ़ायदा पहुंचाया। तीसरी बात, क्रेमलिन वैश्विक खाद्य आपूर्ति में यूक्रेन के अनाज के महत्व को कम करने वाले छलपूर्ण दावे फैलाता है, जबकि वह अनाज निर्यात करने की यूक्रेन की क्षमता को ध्वस्त करने के लिए सक्रिय है जोकि वैश्विक स्तर पर लाखों लोगों का पेट भर सकता है। चौथी बात, मॉस्को खुद को एक उदार परोपकारी और वैश्विक खाद्य सुरक्षा के गारंटीदाता के रूप में चित्रित करने का प्रयास करता है, जबकि वास्तव में, रूस डब्ल्यूएफ़पी में 34वें नंबर का योगदानकर्ता है, भले ही उसे रिकॉर्ड फसल की उम्मीद है। पांचवी बात, क्रेमलिन एक ओर तो झूठा दावा करता है कि बीएसजीआई सुरक्षा गलियारे ने यूक्रेन की सैन्य गतिविधियों के लिए कवर प्रदान किया है, वहीं उसने यूक्रेन की असैन्य बंदरगाह अधोसंरचना पर हमले तेज़ कर दिए हैं, जिनमें यूक्रेन सरकार के अनुसार पहले ही 220,000 टन अनाज नष्ट हो चुका है। इससे क्रेमलिन का असली मक़सद जाहिर होता है: यूक्रेन की एक अहम आर्थिक जीवन रेखा को काट देना।

क्रेमलिन द्वारा डेटा में हेरफेर और उसके भ्रामक आंकड़े तथ्यों को छिपा नहीं सकते। रूसी संघ ने यूक्रेन के खिलाफ़ एक अकारण, अनुचित और अवैध युद्ध शुरू किया। क्रेमलिन यूक्रेन के बंदरगाहों को अवरुद्ध कर रहा है और अनाज ढोने वाले असैन्य जहाज़ों को खतरे में डाल रहा है क्योंकि रूस के मिसाइल हमले यूक्रेन के अन्नागारों और उसके परिवहन केंद्रों को नष्ट कर कर रहे हैं। बीएसजीआई से मॉस्को के हटने से रूस के अनाज की क़ीमतें बढ़ी हैं और दुनिया के सर्वाधिक कमज़ोर लोगों की क़ीमत पर क्रेमलिन का युद्धकोष भर रहा है। रूस खाद्य क़ीमतों में इस बढ़ोतरी और अपनी रिकॉर्ड बंपर उपज से मुनाफ़ा कमाएगा, जबकि वह बाज़ार में अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी को ख़त्म कर रहा है और दुनिया को सर्वाधिक ज़रूरतमंद लोगों का पेट भरने में यूक्रेन के महत्वपूर्ण योगदान को भुलाने की दिशा में ले जा रहा है। वास्तव में, एकमात्र हमलावर रूस है, जो दुनिया के सबसे ज़रूरतमंद लोगों तक अनाज के अहम प्रवाह को अवरुद्ध करने का प्रयास कर रहा है।

भूख को हथियार बनाना

यूक्रेन के खिलाफ़ क्रेमलिन के अकारण और अनुचित युद्ध ने यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुक़सान पहुंचाया है और खासकर विकासशील देशों में वैश्विक खाद्य असुरक्षा को बढ़ा दिया है। यूक्रेन लंबे समय से “यूरोप की रोटी की टोकरी” रहा है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों का पेट भरता है। यह 2021 में अफ़्रीका और मध्य पूर्व के दर्जनों देशों के लिए शीर्ष अनाज आपूर्तिकर्ता था। फरवरी 2022 में रूस के व्यापक हमले के बाद से, रूस ने काला सागर स्थित यूक्रेन के व्यापार मार्गों को अवरुद्ध कर दिया है, यूक्रेन के खेतों में बारूदी सुरंगें बिछा दी है, फसलों को जलाया है, यूक्रेन की अनाज भंडारण क्षमता को नष्ट किया है, श्रमिकों की कमी पैदा की है, और व्यापारिक जहाज़ों और बंदरगाहों पर हमले किए हैं। रूस अपने फ़ायदे के लिए यूक्रेन का अनाज भी चुरा रहा है। जैसा कि संयुक्तराष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है, यूक्रेन के खिलाफ़ क्रेमलिन के युद्ध ने “काला सागर से जुड़े क्षेत्र में कृषि उत्पादन और व्यापार को बाधित कर दिया, जिससे 2022 की पहली छमाही में अंतरराष्ट्रीय खाद्य क़ीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई।”

जुलाई 2022 में, संयुक्तराष्ट्र और तुर्किए ने यूक्रेन के बंदरगाहों से “अनाज और संबंधित खाद्य पदार्थों और उर्वरकों के निर्यात के लिए सुरक्षित नौवहन” की अनुमति देने के वास्ते काला सागर अनाज पहल (बीएसजीआई) के लिए मध्यस्थता की, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वाणिज्यिक अनाज और उर्वरक वैश्विक बाज़ारों तक पहुंच सके। तुर्किए और संयुक्तराष्ट्र की भागीदारी कूटनीति की एक बड़ी सफलता थी। कीव और (जुलाई 2023 तक) मॉस्को ने बीएसजीआई में भाग लिया, और यह पहल वैश्विक खाद्य क़ीमतों में महंगाई को कम करने और दुनिया भर के लोगों को तत्काल आवश्यक अनाज उपलब्ध कराने की दृष्टि से अहम साबित हुई।

रूस-अफ़्रीका शिखर सम्मेलन में मिथक, आंकड़ेबाज़ी और गलतबयानी

बीएसजीआई के जुलाई 2022 से जुलाई 2023 तक प्रभावी रहने के दौरान, रूस ने समझौते को बदनाम करने के लिए बारंबार दुष्प्रचार और झूठे बहानों का इस्तेमाल किया और उससे हटने की धमकी दी। जैसा कि ग्लोबल एंगेजमेंट सेंटर ने मई 2023 के अपने बुलेटिन में विस्तार से बताया है, रूस को खाद्य सुरक्षा पर अपने हमले बंद करने चाहिए, क्रेमलिन ने बार-बार वैश्विक खाद्य सुरक्षा को हथियार बनाया और झूठ फैलाया है, साथ ही उसने खाद्य संकट का लाभ उठाने की कोशिश की है, जो यूक्रेन पर उसके पूर्ण हमले के साथ और गंभीर हो गया है। बीएसजीआई से रूस के हटने के बाद, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और क्रेमलिन के दुष्प्रचार और अधिप्रचार पारिस्थितिकी तंत्र ने घिसे-पिटे झूठे आख्यानों को नए सिरे से फैलाना शुरू किया और उनमें नए कथानक भी जोड़े, जिन्हें जुलाई 2023 में सेंट पीटर्सबर्ग में रूस-अफ़्रीका शिखर सम्मेलन में प्रमुखता से पेश किया गया।

मिथक एक: “रूस अनाज और उर्वरक पर प्रतिबंधों का शिकार है।”

मॉस्को ने निरंतर एक झूठे कथानक का प्रचार किया है कि यूक्रेन के खिलाफ़ अपनी मर्ज़ी के अवैध युद्ध के कारण रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों ने रूस के अनाज और उर्वरक निर्यात को बाधित कर दिया है, जिसमें बीएसजीआई के तहत निर्यात शामिल है। रूसी अधिकारियों और शासन द्वारा वित्तपोषित मीडिया ने नियमित रूप से इस झूठे दावे को दोहराया कि रूस पर अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों ने रूसी अनाज और उर्वरक के निर्यात के “सभी रास्ते बंद कर दिए” हैं। जुलाई 2023 में रूस-अफ़्रीका शिखर सम्मेलन से पहले, पुतिन ने फिर से आरोप लगाया कि “रूसी अनाज और उर्वरक को प्रतिबंधों से छूट संबंधी किसी भी प्रावधान का पालन नहीं किया गया,” साथ ही, अविद्यमान बाधाओं के बारे में शिकायतों के बावजूद, उन्होंने दावा किया कि रूस ने 2023 की पहली छमाही में अफ़्रीका को लगभग उतने अनाज उत्पादों का निर्यात किया जितना पूरे 2022 में किया था।

सच्चाई यह है कि अमेरिका ने रूस से अनाज और उर्वरक के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाए हैं। संयुक्तराष्ट्र ने रूस द्वारा व्यक्त किसी भी चिंता पर स्पष्टीकरण के लिए निजी क्षेत्र तथा अमेरिका, यूरोपीय संघ और यूके के साथ समन्वय किया है। इन देशों ने अपने प्रतिबंधों में रूस के अनाज और उर्वरक निर्यात के अपवादों को स्पष्ट करने के लिए व्यापक मार्गदर्शन जारी किए हैं।

दरअसल, रूस ने खुद पर पाबंदी लगा रखी थी। यूक्रेन पर अपने व्यापक हमले के तुरंत बाद के महीनों में और बीएसजीआई लागू होने से पहले, रूस ने अपने स्वयं के निर्यात को सीमित कर दिया, वैश्विक बाज़ारों में क़ीमतों में हेरफेर किया और दुनिया भर में कमज़ोर लोगों की क़ीमत पर अपने लाभ को अधिकतम करने के लिए यूक्रेन से खाद्य निर्यात को अवरुद्ध कर दिया।

डेटा से सबकुछ स्वत: स्पष्ट हो जाता है। बीएसजीआई के तहत रूस ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। जब बीएसजीआई पहल लागू थी, रूस ने 56 मिलियन टन अनाज उत्पादों का निर्यात किया, और इस प्रक्रिया में 41 बिलियन डॉलर की कमाई की। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने वैश्विक खाद्य आपूर्ति और क़ीमतों पर यूक्रेन के खिलाफ़ रूस के अकारण युद्ध के असर को कम करने के लिए यूक्रेन और रूस दोनों के अनाज को विश्व के बाज़ारों में लाने के संयुक्तराष्ट्र के प्रयासों का पुरज़ोर समर्थन किया। परिणामस्वरूप, संयुक्तराष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में रूस का उर्वरक राजस्व बढ़ गया। रूस रिकॉर्ड मात्रा में गेहूं भी बेच रहा है। विशेषज्ञों और रूस के अनाज निर्यातक व्यापार समूह के अनुसार, दिसंबर 2022 तक उसका गेहूं निर्यात “रिकॉर्ड स्तर के क़रीब” था। रूस ने 45.5 मिलियन टन गेहूं का निर्यात किया, जो पिछले वर्ष के मुक़ाबले 27 प्रतिशत अधिक है।

रूस ने कृषि उत्पादों के निर्यात से बड़े स्तर पर मुनाफ़ा कमाया है, जो मोटे तौर पर पुतिन के युद्ध के कारण वस्तुओं की बढ़ी हुई वैश्विक क़ीमतों का परिणाम है। जुलाई 2023 में बीएसजीआई से रूस के हटने के बाद, वैश्विक स्तर पर अनाज की क़ीमतों में 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और इस प्रक्रिया में दुनिया की सबसे कमज़ोर आबादी को दंडित किया गया है। रूस के समझौते से हटने के बाद, मॉस्को ने बीएसजीआई को बदनाम करने के लिए दुष्प्रचार किया, जबकि क्रेमलिन के उच्चपदस्थ अधिकारियों और शासन द्वारा वित्त पोषित अधिप्रचारकों ने खुलकर सरकार से भूख को हथियार बनाने का आह्वान किया है।

मिथक दो: “कम आय वाले देशों को अनाज पहल से लाभ नहीं होता है।”

बीएसजीआई से रूस के हटने के ठीक पहले और उसके बाद के हफ़्तों में, क्रेमलिन ने डेटा से छेड़छाड़ किया है और एक मनगढंत कथानक का प्रचार किया है कि बीएसजीआई से उन देशों को कोई फ़ायदा नहीं हुआ, जिन्हें इसकी सर्वाधिक ज़रूरत थी। मई 2023 में, रूसी विदेश मंत्रालय (एमएफ़ए) ने, समझौते को आगे बढ़ाने की पुष्टि करने (जिससे वह बाद में हट गया) के बावजूद, बीएसजीआई को बदनाम करने के उद्देश्य से भ्रामक जानकारी फैलाना जारी रखा। एमएफ़ए ने बीएसजीआई के “मानवीय घटक” पर सवाल उठाते हुए दलील दी कि कम विकसित देशों को इस पहल से लाभ नहीं मिलता है क्योंकि कथित तौर पर उन्हें निर्यातित अनाज का केवल 2.5 प्रतिशत प्राप्त होता है। 17 जुलाई 2023 को, रूसी सरकारी मीडिया ने बीएसजीआई की “वास्तविक समाप्ति” पर क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव की टिप्पणियों का प्रसार किया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि अनाज पहल के तहत “सबसे गरीब देशों को सबसे कम लाभ हुआ।” रूस-अफ़्रीका शिखर सम्मेलन से पहले, रूसी सरकारी मीडिया ने पुतिन के 24 जुलाई के लेख को प्रचारित किया, जिसमें बीएसजीआई के तहत निर्यात के गंतव्यों के बारे में दुष्प्रचार को दोहराया गया था, और अमेरिका और सहयोगी देशों पर विकासशील देशों को कम आपूर्ति करते हुए “केवल बड़ी अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों के फ़ायदे के लिए” पहल का उपयोग करने का झूठा आरोप लगाया गया था। रूस-अफ़्रीका शिखर सम्मेलन के उद्घाटन दिवस पर, अपने 27 जुलाई के भाषण में, राष्ट्रपति पुतिन ने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध बीएसजीआई डेटा में और हेरफेर करते हुए दावा किया कि बीएसजीआई के माध्यम से निर्यात किए गए 70 प्रतिशत से अधिक खाद्य उत्पाद औसत आय से ऊपर वाले देशों में गए, जबकि “इथियोपिया, सूडान, सोमालिया जैसे कम आय वाले देशों को कुल मात्रा का 3 प्रतिशत से भी कम प्राप्त हुआ।”

रूस के दावों के विपरीत, बीएसजीआई ने कम आय वाले देशों में बेहद ज़रूरी यूक्रेनी अनाज सीधे पहुंचाकर और वैश्विक स्तर पर खाद्य क़ीमतों में कमी लाकर ज़रूरतमंद लोगों की मदद की है। बीएसजीआई के तहत प्रत्येक शिपमेंट ने अनाज को बाज़ार में लाकर और सभी के लिए खाद्य क़ीमतों को कम करके लोगों की मुश्किलों को कम किया। कम क़ीमतों ने संयुक्तराष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफ़पी) को निम्न आय वाले देशों के हित में अधिक अनाज खरीदने का मौक़ा दिया। संयुक्तराष्ट्र काला सागर अनाज पहल संयुक्त समन्वय केंद्र के अनुसार, 1000 से अधिक जहाज़ों ने यूक्रेन के बंदरगाहों से चलकर 45 देशों में लगभग 33 मिलियन टन अनाज और खाद्य पदार्थ पहुंचाया, जिसमें 57 प्रतिशत खेप अफ़्रीका और एशिया के निम्न या मध्यम आय वाले विकासशील देशों तक पहुंची। यूक्रेनी गेहूं का 65 प्रतिशत विकासशील देशों में पहुंचा, जिनमें 19 प्रतिशत “सर्वाधिक गरीब और सबसे कम विकसित देश” शामिल हैं। यूक्रेनी अनाज का एक बड़ा हिस्सा तुर्किए – तीसरा सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता – को भेजा गया, जिसे पुनर्प्रसंस्कृत कर आटे के रूप में अफ़्रीका और मध्य पूर्व के देशों में निर्यात किया गया।

पुतिन द्वारा आंकड़ों में हेरफेर इस तथ्य की भी अनदेखी करता है कि यूक्रेन ने बीएसजीआई के तहत जुलाई 2023 तक डब्ल्यूएफ़पी को उसके गेहूं भंडार के 80 प्रतिशत से अधिक की आपूर्ति की थी, जोकि यूक्रेन पर रूस के व्यापक हमले से पहले 2021 के 50 प्रतिशत के स्तर से अधिक था। बीएसजीआई ने डब्ल्यूएफ़पी को मानवीय खाद्य सहायता के रूप में यूक्रेन के 725,000 मीट्रिक टन गेहूं की आपूर्ति सहित उसके 29 भरे जहाज़ों को अफ़ग़ानिस्तान, जिबूती, इथियोपिया, कीनिया, सोमालिया, सूडान और यमन तक पहुंचाने में सक्षम बनाया। बीएसजीआई वो काम करने में बेहद सफल रहा जोकि उसका उद्देश्य था – वैश्विक अनाज की क़ीमतों में नाटकीय वृद्धि नहीं होने देना, साथ ही दुनिया भर में उन लोगों तक अनाज पहुंचाना जिन्हें इसकी सबसे अधिक ज़रूरत थी।

रूस झूठा दावा करता है कि बीएसजीआई विकासशील देशों की मदद नहीं करता, जबकि रूस खुद सर्वाधिक ज़रूरतमंद देशों की मदद का बहुत कम प्रयास करता है। पुतिन ने जुलाई 2023 में रूस-अफ़्रीका शिखर सम्मेलन में ये नहीं बताया कि रूस ने अभी तक डब्ल्यूएफ़पी को ज़रा सा भी मुफ़्त अनाज नहीं दिया है, जबकि वह व्यापक रूप से उच्च आय या मध्यम आय वाले देशों को अपना अनाज निर्यात करता है। इस बीच, बीएसजीआई ने वैश्विक अनाज की क़ीमतों को स्थिर कर दिया और 18 बिलियन डबल रोटियों के बराबर गेहूं निर्यात किया, जिसमें से 11.5 बिलियन डबल रोटियों के बराबर गेहूं विकासशील देशों तक पहुंचा।

मिथक तीन: “विश्व गेहूं बाज़ार में यूक्रेन के हिस्से की भरपाई हो सकती है – रूस द्वारा।”

राष्ट्रपति पुतिन ने रूस-अफ़्रीका शिखर सम्मेलन में एक नए झूठे कथानक के साथ आंकड़ों में हेरफेर करना जारी रखा। रूस की कथित रिकॉर्ड फसल उपज के बारे में शेखी बघारते हुए, पुतिन ने दावा किया कि रूस अपने निर्यात और सहायता के माध्यम से यूक्रेन के अनाज का “प्रतिस्थापन” कर सकता है, क्योंकि “विश्व गेहूं बाज़ार में रूस की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है, और यूक्रेन की – पांच प्रतिशत से भी कम।” अपने दावे के समर्थन में, पुतिन ने कहा कि 2022 में यूक्रेन ने 55 मिलियन टन की अपनी उपज में से 47 मिलियन टन अनाज उत्पादों का निर्यात किया, जिसमें 17 मिलियन टन गेहूं था, जबकि रूस ने अपनी “156 मिलियन टन उपज में से 60 मिलियन टन का निर्यात किया, जिसमें 48 मिलियन टन गेहूं था।” अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार, रूस का निर्यात पुतिन के दावे से कम है – 137 मिलियन टन उपज में से लगभग 56 मिलियन टन अनाज का निर्यात किया गया, जिसमें 45.5 मिलियन टन गेहूं था। रूस के आक्रमण, यूक्रेनी खेतों में बिछी बारूदी सुरंगों और अपने किसानों पर गोलाबारी के बावजूद यूक्रेन ने 55 मिलियन टन अनाज की पैदावार की और उस पर से अपनी फसल के 85 प्रतिशत का निर्यात किया, जोकि यूक्रेन के किसानों और कृषि श्रमिकों की सक्षमता की एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। पुतिन ने यह नहीं बताया कि रूस अपने देशवासियों के भोजन के लिए गेहूं की कितनी मात्रा का उपयोग करता है, न ही उन्होंने ये बताया कि क्यों रूस अपने अनाज का केवल 38 प्रतिशत ही निर्यात करता है, और क्यों 2023 में, अपनी रिकॉर्ड उपज के बावजूद, वो विश्व खाद्य कार्यक्रम, जोकि दुनिया के सर्वाधिक कमज़ोर लोगों का पेट भरता है, के दानदाताओं में नीचे 34वें स्थान पर बना हुआ है। इन सवालों के जवाब के बिना, रूस का दावा विश्वसनीय नहीं है कि वह अनाज निर्यात में यूक्रेन के हिस्से की भरपाई कर सकता है, खासकर उन देशों के लिए, जिनको इसकी सर्वाधिक ज़रूरत है।

पुतिन के भ्रामक आंकड़ों का उद्देश्य यूक्रेन द्वारा “दुनिया के ब्रेडबास्केट” के रूप में निभाई गई महती भूमिका को नकारना और मिटाना है। रूस के पूर्ण हमले से पहले, यूक्रेन दुनिया के शीर्ष कृषि उत्पाद निर्यातकों में से एक था। वह सूरजमुखी बीज के तेल का शीर्ष निर्यातक था, और दुनिया के बाजारों की 50 प्रतिशत मांग को पूरा करता था। वह जौ का तीसरा (18 प्रतिशत हिस्सा), मक्के का चौथा (16 प्रतिशत हिस्सा) और वैश्विक आपूर्ति का 8 प्रतिशत निर्यात करने वाला गेहूं का छठा सबसे बड़ा निर्यातक था। 2021 में, यूक्रेन ने 12 बिलियन डॉलर के खाद्यान्नों का निर्यात किया, और उसका 92 प्रतिशत कृषि उत्पाद निर्यात अफ़्रीका और एशिया में पहुंचा। संयुक्तराष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार, रूस की मर्ज़ी के युद्ध ने यूक्रेन के 12 प्रतिशत से अधिक कृषि भूमि को बारूदी सुरंगों से पाट दिया है। दक्षिणी यूक्रेन में सबसे अधिक गेहूं उत्पादन करने वाले क्षेत्रों, जैसे कि खेरसॉन क्षेत्र, को रूस के युद्ध से भी सर्वाधिक तबाही झेलनी पड़ी है, खासकर 6 जून 2023 को नोवा काखोव्का बांध के टूटने और बाढ़ आने के बाद। 2021 में, यूक्रेनी किसानों ने 16 मिलियन हेक्टेयर (40 मिलियन एकड़) से अधिक ज़मीन में बुआई की थी। 2022 में, बोई गई अनाज भूमि घटकर 11.6 मिलियन हेक्टेयर (28.6 मिलियन एकड़) रह गई। बोई गई भूमि में कम से कम 28.5 प्रतिशत की ये गिरावट लगभग बेल्जियम जितने बड़े क्षेत्र के बराबर है। 2023 में बोई गई भूमि का रकवा 10.2 मिलियन हेक्टेयर (25.2 मिलियन एकड़) तक गिरने की आशंका है। अपनी मर्ज़ी के युद्ध को जारी रखकर, काला सागर अनाज पहल को स्थगित करके, यूक्रेन के बंदरगाहों को अवरुद्ध करके, और यूक्रेन के कृषि क्षेत्रों में बारूदी सुरंगें बिछाकर, क्रेमलिन वैश्विक खाद्य बाज़ार में यूक्रेन की हिस्सेदारी घटाने की सक्रिय कोशिश कर रहा है। अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को बाज़ार से हटाकर, रूस खुद को मुख्य विकल्प के रूप में स्थापित कर रहा है।

मिथक चार: “रूस दुनिया के सर्वाधिक ज़रूरतमंदों के लिए अनाज का उदार दानकर्ता और गारंटीदाता है।”

जब पुतिन ने जुलाई 2023 में रूस-अफ़्रीका शिखर सम्मेलन में रूस-अफ़्रीका सहयोग के लिए अपना दृष्टिकोण सामने रखा, तो उन्होंने रूस को दुनिया के सर्वाधिक ज़रूरतमंदों के लिए एक उदार दानकर्ता के रूप में चित्रित किया। उन्होंने “अगले तीन से चार महीनों में बुर्किना फ़ासो, ज़िम्बाब्वे, माली, सोमालिया, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य और इरिट्रिया को 25 से 50 हज़ार टन अनाज मुफ़्त उपलब्ध कराने” का वादा किया।

वैश्विक खाद्य असुरक्षा को कम करने में हर योगदान का स्वागत है, लेकिन आइए पुतिन की कथित उदारता को सही संदर्भ में रखें। 25 हज़ार टन अनाज रूस की 2022 की कुल उपज, 137 मिलियन टन, का 0.03 प्रतिशत है (और पुतिन के 156 मिलियन टन उपज के दावे के लिहाज से तो और भी कम है।) यदि रूस उन देशों में से प्रत्येक को 50 हज़ार टन अनाज, या कुल 300 हज़ार टन अनाज, उपलब्ध कराने की अपनी प्रतिज्ञा का पालन करता है, तो ये रूस की कुल उपज का 0.2 प्रतिशत होगा। 300 हज़ार टन बीएसजीआई के तहत निर्यात की गई कुल मात्रा के एक प्रतिशत से भी कम है, और बीएसजीआई के माध्यम से डब्ल्यूएफ़पी को यूक्रेन द्वारा प्रदान किए गए 725 हज़ार टन के आधे से भी कम।

संदर्भ के लिए, अमेरिका ने खाद्य असुरक्षा से निपटने और मानवीय सहायता के लिए जून 2022 से 14.5 बिलियन डॉलर से अधिक प्रदान किया है। अमेरिका अफ़्रीकी महाद्वीप की गंभीर और मध्यम से दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के प्रयासों में सबसे बड़ा योगदानकर्ता बना हुआ है, और जैसा कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 3 अगस्त को घोषणा की, हैती और गंभीर खाद्य असुरक्षा के संकट, जो यूक्रेन के खिलाफ़ रूस के युद्ध और बीएसजीआई से उसके हटने के कारण बढ़ गया है, का सामना कर रहे 11 अफ़्रीकी देशों को अतिरिक्त 362 मिलियन डॉलर की सहायता दी जाएगी। जुलाई 2022 में, अमेरिका ने अकाल की घोषणा को टालने में मदद के लिए सोमालिया को तत्काल सहायता में 476 मिलियन डॉलर प्रदान किए। अमेरिका संयुक्तराष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के लिए दुनिया का सबसे बड़ा दाता भी है, और 2022 में डब्ल्यूएफ़पी के बजट में 50 प्रतिशत, 7.2 बिलियन डॉलर से अधिक, का योगदान दिया। यह देखने के लिए कि क्रेमलिन वैश्विक खाद्य असुरक्षा के बारे में कितना बेपरवाह है, किसी को केवल डब्ल्यूएफ़पी में रूस के योगदान भर को देखने की जरूरत है। जुलाई 2023 तक, रूस विश्व खाद्य कार्यक्रम में 34वें नंबर का योगदानकर्ता था, यानि अमेरिका (प्रथम), यूरोप के अधिकांश देशों, कई एशियाई देशों और होंडुरास, दक्षिण सूडान, गिनी, और गिनी-बिसाऊ जैसे देशों से पीछे। 2022 में, रिकॉर्ड उपज और निर्यात मुनाफ़े के बावजूद, डब्ल्यूएफ़पी की मानवीय सहायता के लिए रूस का योगदान मात्र 0.2 प्रतिशत था।

जैसा कि संयुक्तराष्ट्र महासचिव गुटेरेस ने पुतिन की “उदार” पेशकश की प्रतिक्रिया में कहा, “कुछ देशों को मुट्ठी भर दान” बीएसजीआई के माध्यम से लाखों-करोड़ों टन अनाज निर्यात की जगह नहीं ले सकता, जो दुनिया भर में खाद्य क़ीमतों को स्थिर करने में मददगार रहा है।

मिथक पांच: “बीएसजीआई सुरक्षा गलियारा यूक्रेन की सैन्य गतिविधियों के लिए कवर प्रदान करता है।”

क्रेमलिन के अधिकारी और उनके अधिप्रचारक यूक्रेन की बंदरगाह अधोसंरचना, अनाज भंडारण केंद्रों और अनाज ढोने करने वाले वाणिज्यिक जहाज़ों पर हमलों को उचित ठहराने का प्रयास करते हुए गलत सूचना फैलाते हैं और दावा करते हैं कि इन असैन्य सुविधाओं का सैन्य उद्देश्य है। बीएसजीआई से हटने के बाद, रूस ने यूक्रेन के खाद्य निर्यात सुविधाओं और बुनियादी ढांचे पर हमले बढ़ा दिए हैं। रूसी अधिकारियों और क्रेमलिन के दुष्प्रचार और अधिप्रचार तंत्र ने बीएसजीआई पर क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव की 17 जुलाई की टिप्पणियों को फैलाया है, जिसमें दावा किया गया था कि कीव ने “सैन्य उद्देश्यों के लिए समझौते का इस्तेमाल किया।” रूसी संसद के अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोडिन ने उनकी बात को दोहराते हुए कहा, “इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि क्रीमिया पुल पर आतंकवादी हमला अनाज सुरक्षा गलियारे की आड़ में किया गया था।” क्रेमलिन समर्थक टेलीग्राम चैनल रीडोव्का ने तो यहां तक अटकल लगाई कि “पुल पर हमले के लिए ज़िम्मेदार समुद्री ड्रोन” को “अनाज समझौते के तहत ओडेसा बंदरगाह छोड़ने वाले अंतिम जहाज़, जैसे कि तुर्किए का जहाज़ सैमसन” से तैनात किया जा सकता था। 20 जुलाई को, रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि वह अब काला सागर में यूक्रेन के बंदरगाहों पर जाने वाले सभी जहाज़ों को सैन्य सामग्री के संभावित वाहकों के तौर पर देखेगा। इस बीच, रूस ने ओडेसा और उसके परे यूक्रेन के बंदरगाहों और अन्य असैन्य बुनियादी ढांचे पर हमले जारी रख रहा है।

रूस के ड्रोन और मिसाइल हमलों ने अनाज के बड़े भंडारों को नष्ट कर दिया है जिनसे लाखों लोगों का पेट भरा जा सकता था। रूस यूक्रेन के बंदरगाहों और अनाज के बुनियादी ढांचे, दोनों को लक्षित कर मिसाइल हमले करना जारी रख रहा है। रूस यूक्रेन के काला सागर स्थित बंदरगाहों को अवरुद्ध करने का प्रयास कर रहा है, जिनसे होकर यूक्रेन का 95 प्रतिशत अनाज निर्यात होता है। डब्ल्यूएफ़पी के अनुसार, 20 जुलाई को ओडेसा बंदरगाह पर हुए एक हमले में 60,000 टन अनाज नष्ट हो गया, जो एक साल तक 270,000 लोगों को खिलाने के लिए पर्याप्त था। रूसी सरकारी मीडिया ने झूठा दावा किया कि इन केंद्रों में विदेशी सैन्य साज़ोसामान का भंडार था, लेकिन वीडियो साक्ष्य में क्षतिग्रस्त अन्नागारों से बंदूकें और गोला-बारूद नहीं, बल्कि अनाज बाहर निकलते हुए दिखाया गया है। 26 जुलाई को रूस के हमले ने विकासशील देशों को यूक्रेनी गेहूं के लगभग 70 प्रतिशत के निर्यात की सुविधा प्रदान करने वाले चोर्नोमोर्स्क बंदरगाह को नुक़सान पहुंचाया, और विशेषज्ञों का अनुमान है कि उसकी मरम्मत में कम से कम एक साल का वक़्त लगेगा।

ओडेसा, मिकोलायव और चोर्नोमोर्स्क पर बमबारी के अलावा, रूस ने असैन्य जहाज़ों, भंडारण और बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ यूक्रेन के डेन्यूब नदी बंदरगाहों पर भी हमले करना शुरू कर दिया है। यूक्रेनी अधिकारियों के अनुसार, 2 अगस्त 2023 को डेन्यूब नदी के इज़मेल बंदरगाह पर हुए हमले में 40,000 टन अनाज क्षतिग्रस्त हो गया, जो अफ़्रीका के देशों के साथ-साथ पीआरसी और इज़राइल भेजे जाने के लिए नियत था। यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने बताया कि मॉस्को ने बीएसजीआई छोड़ने के बाद नौ दिनों के भीतर किए गए हमलों में 26 बंदरगाह सुविधाओं, पांच असैन्य जहाज़ों और 180,000 टन अनाज को नुक़सान पहुंचाया। 3 अगस्त 2023 तक, रूस ने यूक्रेन की बंदरगाह सुविधाओं में संग्रहीत और निर्यात के लिए तैयार 220,000 टन अनाज को नष्ट कर दिया, इसमें से अधिकांश दुनिया के सबसे गरीब देशों में भेजा जाता।

एक तरफ़ तो क्रेमलिन “वैश्विक खाद्य संकट को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने” का दावा करता है, वहीं रूस ने दुनिया के सबसे कमज़ोर लोगों को खिलाने के लिए जितना अनाज देने की हामी भरी है, वह उससे अधिक अनाज नष्ट करने की राह पर है।

क्रेमलिन के मिथक बनाम वैश्विक वास्तविकताएं

बीएसजीआई से हटने के बाद, मॉस्को खुद को प्रतिबंधों का शिकार और वैश्विक खाद्य सुरक्षा संकट में उदार प्रदाता दोनों के रूप में चित्रित करने के प्रयासों के तहत डेटा में हेरफेर करता है, तथ्यों को नकारता है, और आंकड़ों में फेरबदल करता है। राष्ट्रपति पुतिन और क्रेमलिन के अधिकारी वैश्विक खाद्य आपूर्ति में यूक्रेन के अनाज के महत्व को कम करके दिखाते हैं और वे अनाज निर्यात करने की यूक्रेन की क्षमता को ध्वस्त करने के लिए सक्रिय हैं, जोकि विश्व स्तर पर लाखों लोगों का पेट भर सकता है। वास्तव में, एकमात्र हमलावर रूस है, जो दुनिया के सर्वाधिक ज़रूरतमंद लोगों के लिए अनाज के महत्वपूर्ण प्रवाह को अवरुद्ध करने का प्रयास कर रहा है, जिसके निर्यात को काला सागर अनाज पहल से रूस के पीछे हटने के पहले अनाज पहल और संयुक्तराष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के माध्यम से प्रभावी ढंग से समन्वित किया गया था।

क्रेमलिन द्वारा डेटा में हेराफेरी और उसके भ्रामक आंकड़े तथ्यों को छिपा नहीं सकते। क्रेमलिन ने यूक्रेन पर अकारण और अनुचित पूर्ण हमला किया है। क्रेमलिन यूक्रेन के बंदरगाहों को अवरुद्ध कर रहा है और अनाज ढोने वाले असैन्य जहाज़ों को खतरे में डाल रहा है। क्रेमलिन के मिसाइल हमलों ने यूक्रेन के अन्नागारों और उसके परिवहन केंद्रों को नष्ट कर दिया है। मॉस्को के अनाज पहल से हटने से रूस के अनाज की क़ीमतें बढ़ गई हैं और दुनिया के सबसे कमज़ोर लोगों की क़ीमत पर क्रेमलिन का युद्धकोष भर रहा है। रूस खाद्य क़ीमतों में इस बढ़ोतरी और फसलों की अपनी रिकॉर्ड उपज से मुनाफ़ा कमाएगा, जबकि वह बाज़ार में अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी को ख़त्म करने की कोशिश कर रहा है और उसका प्रयास है कि दुनिया का पेट भरने में यूक्रेन के अहम योगदान को दुनिया भूल जाए।

क्रेमलिन भूख को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। पुतिन उस समस्या को “हल” करने का झूठा दावा करते हैं जिसे उन्होंने खुद यूक्रेन पर अपने अकारण और अनुचित पूर्ण हमले से, और यूक्रेन के अनाज आपूर्ति केंद्रों एवं परिवहन केंद्रों को निशाना बनाकर बढ़ा दिया है। 1930 के दशक में, स्टालिन ने यूक्रेन के खिलाफ़ भूख को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया, जिससे लाखों यूक्रेनियों की मौत हुई थी। लगभग एक सदी बाद, क्रेमलिन का एक और क्रूर निवासी दुनिया के खिलाफ़ भूख को हथियार बना रहा है।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 3 अगस्त 2023 को संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद से अपील करते हुए कहा था: “इस परिषद के प्रत्येक सदस्य को, संयुक्तराष्ट्र के प्रत्येक सदस्य को मॉस्को से कहना चाहिए: बहुत हुआ; बहुत हुआ ब्लैकमेल के लिए काला सागर का उपयोग; बहुत हुआ दुनिया के सर्वाधिक कमज़ोर लोगों का मोहरे के रूप में इस्तेमाल; बहुत हुआ यह अन्यायपूर्ण और नितांत अनुचित युद्ध।” रूस ने युद्ध छेड़ने का फ़ैसला किया, जिसने वैश्विक खाद्य संकट को और गंभीर बना दिया है। रूस इसे ख़त्म करने का विकल्प चुन सकता है।


मूल स्रोत: https://www.state.gov/russias-war-on-ukraines-grain-and-global-food-supply-in-five-myths/

अस्वीकरण: यह अनुवाद शिष्टाचार के रूप में प्रदान किया गया है और केवल मूल अंग्रेज़ी स्रोत को ही आधिकारिक माना जाना चाहिए।

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